किसानों को गाइड कर हम 70 हजार करोड़ जो बाहर भेजते हैं किसानों को जा सकता है – पीएम मोदी

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नीति आयोग की बैठक

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल में जिस तरह से राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, उससे देश सफल हुआ है और विश्व में भी देश की साख बढ़ी है।

इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के एडमिनिस्ट्रेटर और लेफ्टिनेंट गवर्नर शामिल हुए। इस मीटिंग में पीएम मोदी का मुख्य फोकस किसानों पर रहा। पीएम मोदी ने कहा कि हम कृषि प्रधान देश कहे जाएं, उसके बावजूद भी आज करीब-करीब 65 से 70 हजार करोड़ रुपए का खाद्य तेल बाहर से लाते हैं। ये हम बंद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह पैसा हमारे किसानों के खाते में जा सकता है। इन पैसों का हकदार हमारा किसान है, लेकिन इसके लिए हमारी योजनाएं उस प्रकार से बनानी होंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों हमने दालों में प्रयोग किया, उसमें सफलता मिली। दालों को बाहर से लाने में हमारा खर्च काफी कम हुआ है। ऐसी कई खाद्य चीजें बिना कारण हमारे टेबल पर आ जाती हैं। हमारे देश के किसानों को ऐसी चीजों के उत्पादन में कोई मुश्किल नहीं है। थोड़ा गाइड करने की जरूरत है और इसके लिए ऐसे कई कृषि उत्पाद हैं जिन्हें किसान न सिर्फ देश के लिए पैदा कर सकते हैं, बल्कि दुनिया को भी सप्लाई कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए पीएलआई स्कीम शुरू की हैं। ये देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए। कॉरपोरेट टैक्स रेट कम करने का लाभ राज्यों को उठाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे। हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है। सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है।

बता दें कि नीति आयोग की बैठक में कृषि, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, मानव संसाधन विकास, जमीनी स्तर पर सेवाओं की आपूर्ति और स्वास्थ्य व पोषण पर विचार विमर्श जैसे एजेंडे शामिल हैं।