सीमा सुरक्षा प्रणाली होगी और मजबूत, पाकिस्तान और चीन सीमा पर ढांचा बदलने की तैयारी

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भारतीय सीमा सुरक्षा

नई दिल्ली। भारतीय सेना देश की पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वी सीमा पर सैनिकों की तैनाती में नए सिरे से कई महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है, जिसमें ऑर्डर ऑफ बैटल (ओआरबीएटी) भी शामिल है। चीन के साथ एक साल से जारी तनाव के बीच भारत ने इस गर्मी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहले की तुलना में अधिक सैनिकों को तैनात किया है।

इसके साथ ही लद्दाख सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में भारतीय सेना ने शून्य से 45 डिग्री नीचे तक तापमान में रहने लायक नए आवास भी बनाये हैं जिनमें बड़ी संख्या में सैनिकों को समायोजित करने की क्षमता है।

भारतीय सेना ने पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा से चीन के साथ उत्तरी और पूर्वी सीमा तक सैनिकों की तैनाती का मूल्यांकन कर नए सिरे से संतुलन की नींव बनानी शुरू की है। नई रणनीति में केवल सैन्य दृष्टिकोण ही नहीं है, बल्कि कूटनीति और अर्थशास्त्र भी शामिल है। यानी इस महत्वपूर्ण बदलाव में दुश्मन से निपटने में कूटनीति का इस्तेमाल करने के साथ-साथ यह भी ख्याल रखा गया है कि कम बजट में कैसे अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखा जा सकता है।

ऑर्डर ऑफ बैटल (ओआरबीएटी) भी इसी रणनीति का हिस्सा है, जिसके मुताबिक पाकिस्तान और चीन सीमा पर नए सिरे से तैनाती की जानी है। ओआरबीएटी का मतलब किसी भी अभियान या युद्ध के लिहाज से सशस्त्र बल की तैनाती का क्रम होता है जिसे सैन्य जरूरतों और चुनौतियों के जवाब देने के मकसद से समय-समय पर संशोधित या बदला जा सकता है।

सैन्य दृष्टिकोण से भारत का हमेशा पश्चिमी सीमा पर फोकस क्षेत्र रहा है, इसीलिए वहां अत्यधिक उच्च सैन्य शक्ति के साथ दंडात्मक कार्रवाई की रणनीति रही है। इसके विपरीत चीन के खिलाफ विश्वसनीय प्रतिरोध की रणनीति अपनाई गई है ताकि विपरीत पक्ष को पता होना चाहिए कि भारत के पास जवाबी कार्रवाई करने और नुकसान पहुंचाने की क्षमता है।

दरअसल सैन्य शक्ति के मामले में चीन खुद को अमेरिका के बराबर देखता है, फिर भी एक साल से चल रहे गतिरोध के बीच चीन ने माना है कि भारत भी सैन्य रूप से मजबूत है और पीछे हटने के बजाय वास्तव में पलटवार कर सकता है। चीन को यह बात तब समझ में आ गई जब भारतीय सेना ने पिछले वर्ष 29/30 अगस्त की रात को चीनियों को पछाड़कर पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे की रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था।

पश्चिमी सीमा पर पहले पाकिस्तान के खिलाफ भारत के तीन स्ट्राइक कोर तैनात थीं लेकिन ओआरबीएटी के तहत किये जा रहे बदलाव में अब दो स्ट्राइक कोर तैनात की जानी है। इसी तरह चीन के खिलाफ पहले से तैनात सिर्फ एक स्ट्राइक कॉर्प्स के बजाय अब दो स्ट्राइक कोर की तैनाती की जानी है।

सेना ने अक्टूबर, 2019 में पहली बार एकीकृत इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की अवधारणा को अमल में लाते हुए पानागढ़ स्थित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को 59 माउंटेन डिवीजन से अलग किया था। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने पिछले साल मई में आईबीजी के जल्द ही चालू होने की उम्मीद जताई थी लेकिन कोविड महामारी और पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव के कारण यह प्रक्रिया प्रभावित हुई है।

एक साल से अधिक समय से चीनी सेना के साथ सैन्य गतिरोध में लगी भारतीय सेना ने बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है​।​​ लद्दाख सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में बनाए गए आवासों में बड़ी संख्या में सैनिकों को समायोजित करने की क्षमता है​​। ​लद्दाख में कठोर सर्दियों के दौरान ​​शून्य से 45 डिग्री नीचे​ तापमान जाने पर भी यह आवास सैनिकों को सुरक्षित रखेंगे​।

​एलएसी से सटे निम्मू-पदम-दारचा ​रोड​ पर काम तेज कर दिया है, जो साल भर देश के अन्य हिस्सों से सैनिकों को लद्दाख जाने में मदद करेगा। रक्षा मंत्रालय भी जल्द ही बीआरओ को नई सड़क पर कनेक्टिविटी के लिए 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए तैयार है।