प्रशंसा और आलोचना के बीच दूसरी बार केरल की कमान पिनाराई विजयन के हाथों में

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पिनाराई विजयन

लगातार दूसरी बार केरल के मुख्यमंत्री बने पिनाराई विजयन इस सप्ताह दो कारणों से चर्चाओं में रहे। पहली वजह से उनके नेतृत्व कौशल को प्रशंसा मिली तो दूसरी में आलोचना। खूबी यह कि प्रशंसा और आलोचना, दोनों उनके पार्टी समर्थकों व कैडरों के जरिये मिली। इस तरह की प्रतिक्रयाओं ने पार्टी के अंतर्विरोध को सामने ला दिया।

देशभर में फैले वाम विचारधारा के समर्थकों ने मायूसी जतायी और दिल्ली में बैठे पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी विजयन के फैसले ने असहज कर दिया। हालांकि कोरोना त्रासदी के बीच यह प्रकरण ज्यादा तूल नहीं पकड़ सका, जिसकी सामान्य दिनों में पूरी संभावना थी।

77 साल के विजयन ने केरल विधानसभा चुनाव में वामपंथी लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को लगातार दूसरी बार जिताकर इतिहास रच दिया। एलडीएफ ने 140 में से 99 सीटें जीतीं। केरल की 15वीं विधानसभा में पिछले चार दशकों में पहली बार किसी सरकार या मुख्यमंत्री ने लगातार दूसरी बार सत्ता की कमान संभाली।

माकपा नीत 21 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने 20 मई की शाम ‘सेंट्रल स्टेडियम’ में पद व गोपनीयता की शपथ ली। विजयन को छोड़कर शपथ लेने वाले माकपा के सभी 11 मंत्रियों के चेहरे नये थे। यहीं से असंतोष की जड़ें उभरकर सामने आईं।

विजयन ने पिछली सरकार में राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कोरोना के खिलाफ अभियान में खासी लोकप्रियता बटोरने वाली के.के. शैलजा को नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी। 64 वर्षीय शैलजा ने हाल के विधानसभा चुनाव में कन्नूर से साठ हजार मतों से जीत हासिल की। विजयन ने उनके स्थान पर पूर्व पत्रकार और अरनमुला विधानसभा सीट से निर्वाचित हुई जॉर्ज को मंत्रिमंडल में स्थान दिया।

के.के. शैलजा केरल में स्वास्थ्य मंत्री रहते कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान बेहद प्रभावी फैसलों की वजह से पहली बार चर्चाओं में आईं और उन्होंने खासी प्रशंसा बटोरी। इससे पहले 2018 में राज्य में निपाह वायरस के संक्रमण को भी सफलतापूर्वक रोका। पिछले सितंबर में यूके स्थित प्रॉस्पेक्ट पत्रिका ने शैलजा को ‘वर्ष 2020 के शीर्ष विचारक’ के रूप में चुना।

‘शैलजा टीचर’ या ‘टीचर अम्मा’ के नाम से प्रशंसकों में मशहूर शैलजा को भविष्य में राज्य का मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था। मीडिया के एक वर्ग ने उन्हें रॉकस्टार स्वास्थ्य मंत्री की संज्ञा देते हुए उनकी तुलना दिवंगत नेता आर गौरी अम्मा से की, जिन्हें कभी मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जाता थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

के.के. शैलजा को विजयन ने इस आधार पर नये मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया कि वे इस बार युवा टीम बनाना चाहते थे। इसी लिहाज से उन्होंने एकतरफ शैलजा का रास्ता रोका और दूसरी तरफ युवा चेहरे के नाम पर अपने दामाद पीए मोहम्मद रियास को मंत्रिमंडल में जगह दे दी।

बेपोर सीट से निर्वाचित मोहम्मद रियास ने पिछले साल 15 जून को मुख्यमंत्री पिनाराई की बेटी वीणा टी से शादी की थी।मुख्यमंत्री की बेटी वीणा बेंगलुरू में एक स्टार्टअप फर्म की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जबकि केरल के कोझीकोड निवासी मोहम्मद रियास सीपीएम की स्टेट कमेटी के मेंबर हैं।

मंत्रिमंडल से बाहर रखने और जगह देने के इन दोनों फैसलों को लेकर चर्चाओं में रहे विजयन की विजय के रंग में भंग पड़ गया। शैलजा को जिस तरह उन्होंने नेपथ्य में धकेला और जिस तरह युवा चेहरे के नाम पर अपने दामाद को मंत्रिमंडल में जगह दी, उसने विजयन की साख को दागदार जरूर बना दिया है।