पटना एम्स में सात बच्चों को दी गई कोवैक्सीन की पहली खुराक, सबको ऑब्जर्वेशन में रखा गया

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कोवैक्सीन का उत्पादन

पटना। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में 2 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर 3 जून को शुरू हुए परीक्षण में अब तक 10 बच्चों को कोवैक्सिन की पहली खुराक दी जा चुकी है। परीक्षण की शुरुआत तीन बच्चों से की गई थी लेकिन अब सात और बच्चों को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की पहली खुराक दी गई है।

कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए देश में बच्चों पर कोविड-19 के टीकों का परीक्षण गति पकड़ रहा है। दो से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर टीके का परीक्षण तीन जून को एम्स पटना में शुरू हुआ। पहले दिन तीन बच्चों को कोविड-19 का टीका लगाया गया।

अस्पताल के अधिकारी बच्चों को वैक्सीन शॉट देने से पहले उनकी स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं। ट्रायल के लिए 21 बच्चों का स्क्रीनिंग टेस्ट किया गया था जिसमें से 12 बच्चों के शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित मिली। इसलिए बाकी नौ में से सात बच्चों को कोवैक्सिन की पहली खुराक शनिवार की रात को दी गई।

पटना, एम्स के डायरेक्टर डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक देने के बाद इन सातों बच्चों को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। उनकी निगरानी की जा रही है। बीते 12 घंटे में अभी तक उन बच्चों में किसी तरह की कोई समस्या नहीं आई है।

उन्होंने बताया कि 3 जून को जिन तीन बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया था, वह भी पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनमें भी किसी तरह की कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य कम से कम 100 बच्चों को कोवैक्सिन की ट्रायल डोज देना है। एम्स पटना में अब तक जिन 10 बच्चों को कोवैक्सिन की पहली खुराक मिल चुकी है, उन्हें 28 दिन बाद वैक्सीन की दूसरी खुराक मिलेगी।