गलवान में भारत के शूरवीरों की विजयगाथा पढ़िए, शहादत को एक साल हुए

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भारत के शूरवीरों की विजयगाथा

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी के खूनी संघर्ष में 20 जवानों की शहादत हो गई थी। आज उनकी शहादत को एक साल हो गए। गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष ने 45 साल में ऐसा इतिहास लिख दिया जिसमें दोनों देशों के सैनिक मारे गए थे।

इस रात भारत के वीर जवानों ने उन चीनी सैनिकों का मुकाबला किया था जो भारत में घुसपैठ करने के लिए बेताब थे। चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत 19 जवानों ने अपनी जान गंवा दी लेकिन उन्हें भारतीय सीमा में घुसने नहीं दिया।

एक साल पहले की उस घटना को आज भी कोई भूला नहीं है। एक तरफ चीन के बुज़दिलों की नापाक फ़ौज थी तो दूसरी तरफ भारतीय जवान साहस और शौर्य की वीरगाथा लिख रहे थे। ठीक एक साल पहले 15 जून को लद्दाख की बर्फीली गलवान नदी के किनारे चीन ने धोखे से हमला किया तो भारत के शूरवीरों ने चीनी सैनिकों का कचूमर निकाल दिया।

शहीद हुए जवानों की टीम का नेतृत्व करने वाले कर्नल संतोष बाबू को बीते गणतंत्र दिवस पर देश के दूसरे सर्वोच्च युद्ध वीरता पुरस्कार ‘महावीर चक्र’ से नवाजा गया। चीन के सैनिकों से मुकाबला करने वाले चार और बहादुरों को मरणोपरांत ‘वीर चक्र’ दिया गया, जिनमें बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार नंदू राम सोरेन, नायब सूबेदार दीपक सिंह, 81 फील्ड रेजिमेंट के हवलदार के.पलानी और पंजाब रेजिमेंट के सिपाही गुरतेज सिंह शामिल हैं। इसके अलावा बहादुरी से लड़कर घायल होने वाले हवलदार तेजेंदर सिंह को भी वीर चक्र दिया गया।

भारत ने मजबूत किया बुनियादी ढांचा

गलवान झड़प के बाद से ही भारतीय सेना खुद को मजबूत बनाने में जुटी हुई है। चीन के तमाम विरोधों के बावजूद भारत ने पूर्वी लद्दाख में लेह और काराकोरम के बीच 255 किलोमीटर लम्बी रणनीतिक ऑल-वेदर रोड का निर्माण पूरा कर लिया है। भारतीय रक्षा बलों ने कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करके पूरे लद्दाख क्षेत्र में खुद को मजबूत किया है।

सीमा सड़क संगठन ने जोजिला दर्रा से लेकर दुनिया की नई सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला, मार्समिक ला, खारदुंग ला तक ऐसी सड़कें तैयार की हैं जिनकी वजह से साल भर सैनिकों की आवाजाही हो सकेगी। अब भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक पहुंचने के लिए 17 हजार 800 मीटर की ऊंचाई पर वैकल्पिक मार्ग तैयार कर लिया है। सीमा की अग्रिम चौकियों तक सड़कों की कनेक्टिविटी होने से पूरे वर्ष रसद सामग्री की आपूर्ति और सैनिकों को तैनात करने में आसानी होगी।

रक्षा मंत्रालय जल्द ही बीआरओ को नई कनेक्टिविटी के लिए 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए तैयार है। भारत ने पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर एक बार फिर चीन की घुसपैठ को नाकाम करके 29/30 अगस्त की रात को कैलाश रेंज की आधा दर्जन ऊंची रणनीतिक पहाड़ियों पर अपना कब्जा सुनिश्चित कर लिया था।

राफेल ने मजबूत किया लद्दाख का आसमान

भारतीय सेना ने पैन्गोंग झील में गश्त के लिए 17 नावें तैनात की हैं। हालांकि 35 फुट लंबी नावें वर्तमान में किसी भी हथियार से सुसज्जित नहीं हैं, लेकिन भविष्य की किसी भी आवश्यकता के अनुसार हल्के हथियारों से लैस हो सकती हैं।गलवान संघर्ष के बाद राफेल लड़ाकू विमानों के आने से भारतीय वायु सेना भी और ज्यादा मजबूत हुई है। हालांकि इससे पहले मिग-29, सुखोई-30, जगुआर लड़ाकू विमान लद्दाख के आसमान पर हावी रहे हैं। अब राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में शुरू होने से पूर्वी सीमाओं को और मजबूती मिलेगी।