तालिबान के फिर उमड़ा पाकिस्तान प्रेम, बोला- अमेरिका मान्यता नहीं देता है तो…

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इमरान खान

अफगानिस्तान की नई हुकूमत तालिबान को मान्यता देने में दुनिया की देरी से पाकिस्तान को बहुत दुख हो रहा है। पाकिस्तान का यह तालिबानी प्रेम अब धीरे-धीरे दुनिया के सामने आने लगा है। इससे पहले पाकिस्तान हमेशा तालिबान के रिश्तों को लेकर नकारता रहा है।

शुरू से ही तालिबान के लिए खुलकर पाकिस्तान ने अपनी बातें कही हैं। पाकिस्तान की हरकतों और बयानों से एक तस्वीर साफ होती है कि पाकिस्तान कहीं न कहीं अफगानिस्तान में तालिबान के फलने-फूलने में हमेशा साथ रहा है।

इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हलावे से एक लोकल मीडिया ने कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अगर अमेरिका तालिबान के साथ बातचीत नहीं करता है और उसकी मान्यता पर सकारात्मक रुख नहीं अपनाता है तो इससे क्षेत्र में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

पाकिस्तान की दुनिया न्यूज ने शनिवार को बताया कि इमरान खान ने शुक्रवार को एक रूसी मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि अफगानिस्तान वर्तमान में पूरे क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि देश एक ऐतिहासिक चौराहे पर है।

उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ने तालिबान को अमेरिका के खिलाफ जीतने में मदद की, तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान अमेरिका और पूरे यूरोपीय लोगों से ज्यादा मजबूत है और इतना मजबूत है कि वह हल्के हथियारों से लैस करीब 60 हजार लड़ाकों वाली फौज बनाने में सक्षम है, जिसने हथियारों से लैस 300000 की संख्या वाले बल को हराया।

इमरान खान ने कहा कि अफगान लोग बाहरी ताकतों के खिलाफ युद्ध को जिहाद मानते हैं और तालिबान ने 20 वर्षों में बहुत कुछ सीखा है। इससे पहले बुधवार को इमरान खान ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध पाकिस्तान के लिए “विनाशकारी” था क्योंकि वाशिंगटन ने अफगानिस्तान में अपनी 20 साल की उपस्थिति के दौरान इस्लामाबाद को “किराए की बंदूक” की तरह इस्तेमाल किया था।