दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के साथ किसी तरह के टकराव के मूड में नहीं हैं। उनके घर-घर राशन उपलब्ध कराने की योजना पर केंद्र सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद जिस तरह से उन्होंने नरमी दिखाई है, वह उसकी पुष्टि है।
घर-घर राशन योजना के जरिए अरविंद केजरीवाल की वोट बैंक की राजनीति फ़्लाॅप हो चुकी है। दरअसल, झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर उस वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही थी। मगर, केंद्र सरकार को यह कतई मंजूर नहीं है कि दिल्ली सरकार किसी भी मामले में अपनी मर्जी से फैसला ले। इसी को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार ने इस योजना पर विराम लगा दिया था। अब योजना से नाम हटा कर इसे लागू किए जाने की बात अरविंद केजरीवाल ने की है।
डोर स्टेप राशन उपलब्ध कराने की शुरूआत 25 मार्च को होनी थी और उसके बाद 1 अप्रैल से इसे पूरी दिल्ली में लागू किया जाना था। अरविंद केजरीवाल का तर्क यह था कि इससे एक तो लोगों को लाइन में खड़ा होने का झंझट नहीं रहेगा और साथ ही इससे उनकी ये शिकायत भी दूर जाएगी कि उन्हें राशन नहीं मिल रहा है।
केंद्र सरकार की नाराजगी के बाद उन्होंने इस योजना का नाम हटाने का ऐलान करते हुए कहा है कि अब इसका कोई नाम नहीं होगा। लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि घर-घर तक राशन पहुंचाया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे केंद्र सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी। मगर ये देखा जाना अभी बाकी है कि बिना नाम के इस योजना को वह मंजूरी देती है या नहीं!