भारत और ऑस्ट्रेलिया का द्विपक्षीय रक्षा सहयोग होगा और मजबूत, सहमत हुए दोनों देश

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राजनाथ सिंह और ​पीटर डटन

​नई दिल्ली। ​​रक्षा मंत्री​ ​​​राजनाथ सिंह ने ​मंगलवार को ​अपने ​​​​ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष ​​​पीटर डटन के साथ टेलीफोन पर बातचीत ​में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा की​​​​।​ ​दोनों मंत्रियों ने ​​वर्तमान क्षेत्रीय स्थिति की पृष्ठभूमि में​ ​​रक्षा सहयोग की समीक्षा करते हुए सशस्त्र बलों के बीच संबंधों को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

बातचीत के दौरान ​​दोनों मंत्रियों ने ​​वर्तमान क्षेत्रीय स्थिति की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के बीच ​​​​रक्षा सहयोग की समीक्षा की। ​​दोनों मंत्रियों ने उस गति को स्वीकार किया, जो भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा सहयोग ने जून 2020 में एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के उन्नयन के बाद हासिल की है।​

​बंगाल की खाड़ी ​और अरब सागर ​में​ पिछले साल हुए ​​मालाबार​ अभ्यास के 24वें संस्करण में ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी इस बढ़ी हुई साझेदारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर रही है।​ इस नौसैन्य अभ्यास में क्वाड समूह के चारों देशों भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने ​भाग लिया था।

दोनों पक्षों ने विभिन्न द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पहलों की प्रगति की समीक्षा की और सशस्त्र बलों के बीच संबंधों को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की। ​दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों पर संतोष व्यक्त किया। ​​वार्ता के दौरान दोनों मंत्रियों ने जल्द से जल्द टू-प्लस-टू मंत्रिस्तरीय वार्ता आयोजित करने की अपनी मंशा व्यक्त की।​ राजनाथ सिंह ने ​कोविड​-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की सहायता के लिए ऑस्ट्रेलिया को धन्यवाद दिया​​।​

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी को लागू करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और दोनों पक्ष जल्द ही अगली टू-प्लस-टू मंत्रिस्तरीय वार्ता बुलाएंगे। उन्होंने इस बात पर खुशी ​जताई ​कि ऑस्ट्रेलियाई सशस्त्र बलों ने कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत का समर्थन किया है।​ ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री​ ​पीटर डटन से दोनों देशों द्वारा कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए किए गए उपायों के बारे में बात की।​

​बता दें कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन के बीच एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए​ गए थे​।​ यह म्युचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (एमएलएसए) दोनों देशों की सेनाओं को समग्र रक्षा सहयोग को बढ़ाने के अलावा आपूर्ति की मरम्मत और पुनः​ आ​पूर्ति के लिए एक दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति देता है।