दिसपुर। असम में बीजेपी की राजग सरकार का गठन हो गया। चुनावी जीत के एक हफ्ते बाद बीजेपी नेता हिमंत बिस्व सरमा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ही। वे असम के 15वें मुख्यमंत्री बने। उन्हें राज्यपाल जगदीश मुखी ने शपथ दिलाई।
श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में नए मंत्रिमंडल का भी शपथ ग्रहण हुआ। इससे पहले रविवार को हिमंत को सर्वसम्मति से भाजपा और एनडीए के विधायक दल का नेता चुना गया था। शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। सरमा के साथ-साथ कई मंत्रियों ने भी शपथ लिया।
हेमंत बिस्वा का जीवन परिचय
हेमंत बिस्वा सरमा का जन्म 1 फरवरी 1969 को उलूबारी में हुआ था। साल 1990 में ग्रैजुएशन, 1992 में पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई उन्होंने गुवाहाटी से ही की। इसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। उन्होंने 1996-2001 तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में बतौर वकील काम किया।
हेमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर 2001 में शुरू हुआ था। वे कांग्रेस पार्टी की टिकट पर 2001 में जालुकबरी से चनाव लड़े और जीत भी दर्ज की। कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से लागातर तीन बार विधायक बनें।
इसके बाद हिमंत सरमा ने गोगोई सरकार में वित्त, कृषि, प्लानिंग एव डेवलपमेंट, हेल्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय का पद संभाला। साल 2011 में रंजन गोगोई को जीत दिलाने में हेमंत बिस्वा सरमा की अहम भूमिका थी।
हालांकि जीत के बाद उन्हें गोगोई सरकार में ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। इसके बाद पार्टी और हिमंत के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगी। सरमा राहुल गांधी से मिलना चाहते थे, लेकिन राहुल गांधी सरमा से नहीं मिले।
इसके बाद हिमंत सरमा को पार्टी में अपने कद में आई कमी खलने लगी। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से धीरे-धीरे किनारा कर लिया और बीजेपी का दामन थाम लिया।
कांग्रेस को छोड़ने के बाद हेमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि उन्होंने राहुल गांधी को कई बार मिलने को लेकर फोन किया लेकिन राहुल गांधी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। लेकिन अमित शाह को एक बार फोन करने पर ही वे मिलने को राजी हो गए। उसके बाद सरमा भाजपा में शामिल हो गए और कांग्रेस धीरे-धीरे असम की राजनीति से बाहर हो गई।