​​सेना के अस्पतालों में भी पहुंचा ​ब्लैक फंगस, रक्षा मंत्रालय ने जल्द इंजेक्शन आपूर्ति करने को कहा

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ब्लैक फंगस का कहर

नई दिल्ली। ब्लैक फंगस का कहर अब सेना के अस्पतालों में भी पहुंच गया है। राजधानी दिल्ली के दो प्रमुख रक्षा अस्पतालों आर्मी आर एंड आर और आर्मी बेस हॉस्पिटल में ब्‍लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यहां अब तक ब्‍लैक फंगस के 30 से अधिक मामले सामने आए हैं जिनमें कई ​​​​फ्रंटलाइनर सैनिक भी हैं। सेना के जवानों को भी ब्‍लैक फंगस से बचाव के लिए एम्फोटेरिसिन बी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है​​​।

​पूरे ​​देश में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का कहर देखने को मिल रहा है​​। तेजी ​के साथ बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सरकार भी अब युद्ध स्तर पर तैयारी कर रही है​​​​।​​ ​अब ​ब्लैक फंगस​ ​देश की सेवा में लगे ​सैनिकों को भी ​अपना शिकार ​बना रहा है​।​​ दिल्ली के ​दो ​आर्मी अस्पतालों में ​अब तक 30 मामले आ चुके हैं, जहां ​सेवारत सैनिकों और सेवानिवृत्त दिग्गजों का इलाज चल रहा है​।

इनमें कई कई ​फ्रंटलाइनर ​सैनिक भी हैं ​जो आर्मी अस्पताल में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कमी​ से जूझ रहे हैं​​​।​​ इस समय​ आर्मी अस्पतालों के पास इसी इंजेक्शन का स्टॉक नहीं है, ऐसे में इलाज करना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है​​। राजधानी दिल्ली में ब्लैक फंगस के 700 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं​ और मौजूदा समय में 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज एम्स में चल रहा है​।​​ ​

​दरअसल ​​ब्लैक फंगस के इलाज में सबसे ज्यादा एम्फोटेरिसिन-बी ​​इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है​ ​लेकिन इस समय दिल्ली के आर्मी बेस अस्पताल में ​भी इस इंजेक्शन की भारी कमी है​​​​।​​​ अस्पताल के एक आर्मी डॉक्टर ने बताया कि ​​ब्लैक फंगस​ की वजह से ​​कई ​सैनिकों की स्थिति गंभीर है​​​।

​​​रक्षा मंत्रालय के ​एक अधिकारी का कहना है कि सरकार ​​प्राथमिकता के साथ एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की आपूर्ति करवाने जा रही है​​।​​​ ​यह ​इंजेक्शन​ ​​कब ​​तक मिल पाएंगे, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है​​​​।​ ब्लैक फंगस ​के मामले बढ़ने का कारण कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस्तेमाल में आए ऑक्सीजन सिलेंडर ठीक से ​सेनिटाइज न​ किये जाने, ​ऑक्‍सीजन की कमी, मरीजों में ब्लड शुगर बढ़ने और मरीजों को इलाज के दौरान भारी मात्रा में स्टेरॉयड​​ ​दिया जाना बताया जा रहा है​​।​​ ​देश के अधिकांश राज्य ​फिलहाल ​ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके हैं और ​इसके इलाज के लिए अलग-अलग रणनीति बना रहे हैं​​।​​​

​रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में सेना के एक डॉक्टर ने दोनों अस्पतालों के पास फंड की कमी बताते हुए कहा कि कई लोगों की जान जोखिम में है, क्योंकि अस्पताल को ​​ब्‍लैक फंगस के बढ़ते मामलों से लड़ने के लिए एम्फोटेरिसिन बी की न्यूनतम खेप का इंतजार है।​ आर्मी बेस अस्पताल के एक सेना अधिकारी ने कहा​ कि ​मुझे अस्सी के दशक में सियाचिन ग्लेशियर पर ​तैनाती का वह समय याद आ रहा है, जब हम एक हेलीकॉप्टर से गिराए गए ईंधन के हर जेरीकेन के लिए सांस रोककर इंतजार करते थे। यह ​समय भी ​कुछ वैसा ही ​है जब ​यहां ब्‍लैक फंगस ​की दवा का इन्तजार करते सैनिकों को देख रहे हैं।