नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने टूलकिट मामले की आरोपित दिशा रवि के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लीक करने के मामले में जवाब देने के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को एक और अंतिम मौका दिया है। जस्टिस रेखा पल्ली ने चार हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली पुलिस की ओर से जवाब दाखिल नहीं करने पर जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि कोर्ट ने पिछले आदेश में ही अंतिम अवसर दिया था। इस अंतिम अवसर का क्या मतलब है। हम आपके ऊपर जुर्माना लगाएं।
इसपर केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील अजय दिगपाल ने कहा कि कोरोना का संक्रमण बढ़ने की वजह से जवाब दाखिल नहीं हो पाया। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने दिशा रवि को निर्देश दिया कि वो दिल्ली पुलिस का जवाब मिलने के तीन हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा दायर करें।
बता दें कि टूलकिट मामले में पिछले 17 मार्च को कोर्ट ने दो हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। दिशा रवि ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली पुलिस और कुछ मीडिया संगठनों ने दिल्ली पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस और लीक की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर उसे निशाना बनाया।
याचिका में कहा गया है कि ऐसा करना एक आरोपित के अधिकार का उल्लंघन है। ऐसा करके दिल्ली पुलिस और मीडिया संगठनों ने न्यायिक प्रशासन को प्रभावित करने की कोशिश की है। इस याचिका में न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) समेत कुछ चैनलों को पक्षकार बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 23 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा रवि को जमानत दे दी थी। उसके बाद 15 मार्च को टूलकिट मामले के आरोपित शुभम चौधरी, निकिता जैकब और शांतुनु मुलुक को राहत देते हुए कोर्ट ने तीनों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें सात दिनों का नोटिस देने आदेश दिया था।
यह टूलकिट तब चर्चा में आया था, जब इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा किया था। उसके बाद पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज किया था।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत बदनाम करने, आपराधिक साजिश रचने और नफरत को बढ़ावा देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज किया है।