आतंकवाद और कट्टरवाद ​से पूरी दुनिया को खतराः राजनाथ​ ​सिंह

0
14

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ​कहा कि आज दुनिया के सामने आतंकवाद और कट्टरवाद सबसे बड़ा खतरा है। भारत आतंकवाद के बारे में वैश्विक चिंताओं को साझा कर रहा है। आतंकवादियों का मजबूत गठजोड़ केवल सामूहिक सहयोग से ही तोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने, समर्थन करने, वित्तपोषित करने और उन्हें पनाह देने वालों के खिलाफ आसियान देशों को एकजुट होने की जरूरत है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की 8वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में 10 आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) देशों और आठ संवाद भागीदार देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया।​

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ​’वसुधैव कुटुम्बकम’ का सन्देश देते हुए कहा कि पूरी दुनिया एक परिवार है और भारत एक परिवार के रूप में दुनिया की परिकल्पना करता है। वर्तमान क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश में शांति और सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां उभर रही हैं। मौजूदा समय की चुनौतियों का समाधान पुरानी प्रणालियों से नहीं किया जा सकता है।

कोरोना वायरस पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें लगातार नए वेरिएंट मिल रहे हैं, जो अधिक संक्रामक और शक्तिशाली हैं। भारत दूसरी लहर से उबर रहा है, जिसने हमारी चिकित्सा व्यवस्था को काफी हद तक पीछे धकेल दिया है लेकिन महामारी का विनाशकारी प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है। विश्व को अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ने की जरूरत है लेकिन मुझे विश्वास है कि यह तभी संभव है, जब पूरी मानवता का टीकाकरण हो।

उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर उपलब्ध पेटेंट मुक्त टीके, निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला और अधिक वैश्विक चिकित्सा क्षमताएं कुछ ऐसे प्रयास हैं, जिन्हें भारत ने संयुक्त प्रयास के लिए सुझाया है। राजनाथ सिंह ने बातचीत और अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के पालन के माध्यम से विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर भी जोर दिया।

उन्होंने भारत-प्रशांत में एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी आदेश का आह्वान करते हुए कहा कि विवादों के शांतिपूर्ण समाधान बातचीत और अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर होना चाहिए। भारत ने इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए हिन्द-प्रशांत में अपने सहकारी संबंधों को मजबूत किया है। भारत हिन्द-प्रशांत के लिए साझा दृष्टिकोण के बारे में आसियान के नेतृत्व वाले मजबूत प्लेटफार्म का समर्थन करता है।