नई दिल्ली। समुद्र में चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए भारतीय नौसेना ने अपनी तैयारी मजबूत की है। नौसेना ने समुद्र में दुश्मन के किसी भी हरकतों का जवाब देने के लिए 6 परमाणु चालित पनडुब्बी को अपने बेड़े में शामिल करने का फैसला किया है। इसके लिए नौसेना अपने स्तर पर तेजी से काम कर रहा है।
सोमवार 8 मार्च को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने मुंबई में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक का सफल परीक्षण किया। यह समुद्र में भारतीय पनडुब्बियों को और घातक बना देगा।
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक पानी के नीचे किसी पनडुब्बी को ज्यादा समय तक रहने में मदद करता है। इससे दुश्मन को चकमा देने में आसानी होती है और दुश्मन पर कड़ी नजर रखने में मदद करता है।
कलवरी क्लास की तीसरी पनडुब्बी INS करंज (INS Karanj) आज यानी 10 मार्च को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। एआईपी तकनीक को कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों में जोड़ा जाएगा। भारतीय नौसेना ने अब अपने सभी कलवरी क्लास ( Kalvari class) के गैर-परमाणु अटैक को एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) में बदलने की योजना बनाई है। माना जा रहा है कि 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी नौसेना की ताकत का मुकाबला करने के लिए भारत तैयार है। उनका कहना है कि इन योजनाओं को भारतीय नौसेना द्वारा चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए एक ठोस कदम के रूप में भी देखा जाना चाहिए।
विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय नौसेना की ताकत में इस साल बड़ा इजाफा होने वाला है और रक्षा मंत्रालय इसके लिए पूरी चुस्ता से जुटा हुआ है। एचटी को पता चला है कि पूर्वी लद्दाख में विघटन को लेकर बैठक के दौरान चीनी वार्ताकारों ने भारत से हिंद महासागर में PLA नौसेना के खिलाफ भारतीय नौसेना के आक्रामक होने की शिकायत की।