भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की बातचीत संपन्न हो गई। यह बातचीत 16 घंटे चली। बातचीत के बाद भारत ने स्पष्ट तौर पर साफ कर दिया है कि पीएलए को तनाव वाले सभी जगहों से पीछे हटना होगा। बता दें कि पूर्वी लद्दाख पर चीन के साथ विवाद के बाद भारत सरकार ने 50,000 जवानों को तैनात कर रखा है।
लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में बर्फीली ठंड शुरू होने के बावजूद दोनों देशों के हजारों सैनिक एलएसी पर तैनात हैं लेकिन करीब ढाई माह बाद चीन वार्ता की टेबल पर आने को राजी हुआ है। चीन के साथ बातचीत रविवार सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ। यह बातचीत भारतीय क्षेत्र में लद्दाख के चुशूल सेक्टर में हुई।
बता दें कि दोनों देशों ने 06 नवम्बर को हुई 8वें दौर की कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता में एक दूसरे को टॉप सीक्रेट ‘रोडमैप’ दिए थे, जिस पर दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने मंथन किया है। 8वें दौर की बातचीत में इसी रोडमैप पर फोकस किया गया था लेकिन तनाव कम करने और पीछे हटने को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी।
पिछली बैठक में भी भारत ने साफ कर दिया था कि अगर सेना हटेगी तो पूरी एलएसी से हटेगी। अगर ऐसा होता तो चीन को पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4-8 के पीछे जाना पड़ता। लेकिन चीन इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
अभी तक हुईं इस बातचीत में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए एलएसी से पीछे हटने पर सहमति जताई है लेकिन यह कैसा होगा, इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। अभी तक भारत-चीन का साझा बयान अभी जारी नहीं हुआ है।