तीसरी लहर को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन, माता-पिता जानें सबकुछ

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कोरोना की तीसरी लहर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि कोरोना संक्रमण में वयस्क रोगियों को दी जाने वाली दवाईयाँ आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर, डाक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक औषधियां बच्चों के उपचार के लिए अनुशंसित नहीं हैं।

सरकार ने कहा है कि कोरोना पीड़ित बच्चों पर इन दवाओं का परीक्षण नहीं किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराने के लिए कोरोना देखरेख प्रतिष्ठानों की मौजूदा क्षमता में वृद्धि की जानी चाहिए।

निर्देश के अनुसार, बच्चों के लिए कोरोना रोधी टीके को स्वीकृति मिलने की स्थिति में टीकाकरण में ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अन्य रोगों से पीड़ित हैं और जिन्हें कोरोना का गंभीर जोखिम है।

मंत्रालय ने इसके साथ-साथ यह भी कहा है कि लाकडाउन हटने या स्कूलों के फिर से खुलने के बाद या अगले तीन-चार महीनों में संभावित तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में किसी भी वृद्धि से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि बच्चों की देखरेख के लिए अतिरिक्त बिस्तरों का अनुमान महामारी की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न जिलों में संक्रमण के दैनिक मामलों के चरम के आधार पर लगाया जा सकता है। इससे बच्चों में संक्रमण के संभावित मामलों के साथ ही यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि उनमें से कितनों को भर्ती करने की आवश्यकता पड़ेगी।

बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में 18 से 45 साल के बीच के लोगों के लिए भी वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू किया है। बच्चों के लिए अभी तक किसी भी टीके के परीक्षण का रिपोर्ट सामने नहीं आया है। बच्चों पर वैक्सीन का परीक्षण दिल्ली, पटना एम्स में हो रहा है। अभी जिन बच्चों को वैक्सीन दी गई है उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।