प्राइवेसी पॉलिसी : फेसबुक और व्हाट्स ऐप की चुनौती याचिका पर सुनवाई टली

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व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी
व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्राइवेसी पॉलिसी केस में प्रतिस्पर्द्धा आयोग के जांच के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्स ऐप की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी है।

बता दें कि फेसबुक और व्हाट्स ऐप ने सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 31 मई को करने का आदेश दिया।

पिछले 22 अप्रैल को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी। इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है।

सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है।

उन्होंने कहा था कि व्हाट्स ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी का उद्देश्य यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है। व्हाट्सऐप की व्यावसायिक सेवा अलग है जो फेसबुक से लिंक की गई है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्सऐप किसी यूजर की निजी बातचीत को नहीं देखता है। नई प्राइवेसी पॉलिसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

फेसबुक की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि यह फेसबुक और व्हाट्सऐप की संयुक्त नीति नहीं है। ऐसे में प्रतिस्पर्द्धा आयोग का फेसबुक के खिलाफ आदेश देना बिल्कुल गलत है। ये मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। उन्होंने प्रतिस्पर्द्धा आयोग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।

वहीं प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा कि ये मामला केवल प्राइवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है। प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है। भले ही व्हाट्सऐप की इस नीति को प्राइवेसी पॉलिसी कहा गया है, लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।