चीन की दादागिरी के खिलाफ खड़ा हुआ फ्रांस, दक्षिण चीन सागर में भेजा युद्धपोत

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फ्रांस का युद्धपोत

दक्षिण चीन सागर में चीन के दादागिरी को देखते हुए अमेरिका के बाद अब फ्रांस ने भी अपना युद्धपोत भेज दिया है। इस संबंध में फ्रांसीसी नौसेना ने कहा कि युद्धपोत टोनरे और सर्कुफ गुरुवार को रवाना हुए और तीन माह तक प्रशांत क्षेत्र के मिशन पर रहेंगे। वेबसाइट नेवल न्यूज के मुताबिक, ये युद्धपोत दो बार दक्षिण चीन सागर से गुजरेंगे और मई में जापान और अमेरिका के साथ होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेंगे।

टोनरे के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन आरनौद ट्रांसचैंट ने कहा कि फ्रांसीसी नौसेना अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग को मजबूत करेगी। फ्रांसीसी नौसेना 2015 और 2017 में भी इस तरह के मिशन अंजाम दे चुकी है। उसके युद्धपोत दक्षिण चीन सागर से होकर गुजरे थे। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा मिशन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में फ्रांस की मौजूदगी बढ़ने का संकेत है।

बता दें कि फ्रांस ने पिछले हफ्ते ही दक्षिण चीन सागर में एक परमाणु पनडुब्बी तैनात की थी। उसने चीन की चुनौतियों से मुकाबले के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की अपील पर यह कदम उठाया था। चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है।

ताइवान के क्षेत्र में चीन ने भेजा लड़ाकू विमान

चीन लगातार ताइवान को युद्ध की धमकियाँ दे रहा है। चीन फिर से ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के चार जे-16 और चार जेएच-7 विमान ताइवान नियंत्रित प्रतास द्वीप के समीप आ गए थे। चीन अक्सर ही इस तरह की हरकत करता है। चीन इस द्वीपीय क्षेत्र को अपना मानता है और इस क्षेत्र पर बल पूर्वक कब्जे की धमकी भी दे चुका है।

जापान ने जताई चिंता

जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने जी-7 की बैठक में चीन के रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि वह पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा है। इधर, चीन के दो पोत जापान के जल क्षेत्र में घुस गए। इस पर जापान ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।