आखिर ‘बेनकाब’ करने की अनुमति दे ही दी…!

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शरद कुमार सिन्हा। गृहमंत्री के अधीन दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड निकालने की मंजूरी दे दी। स्वयंसेवकों की तरह अनुशासित रहना ‘गद्दारों’ के बस की बात नहीं है, ये मोदी जी अच्छी तरह जानते हैं। खाने-पीने और ऐशो-आराम के मजे का लालच देकर लाई गई भीड़ को 2 महीने से पाल-पोस रहे देश विरोधी ताकतों ने थककर ट्रैक्टर परेड के मार्फ़त आंदोलन समाप्त करने की तरकीब निकाली थी।

देश के विरोधी सोच रहे थे कि ट्रैक्टर परेड की अनुमति मोदी जी नहीं देंगे और किसानों को भड़काकर ज़बरदस्ती ट्रैक्टर परेड निकालने का षड्यंत्र रचाएंगे। तब मजबूर होकर दिल्ली पुलिस लाठीचार्ज व गोली चलाएगी। इस प्रकार सरकार को तानाशाह सिद्ध करने का सफल षड्यंत्र रचा दिया जाएगा। मगर वे भूल रहे हैं कि ये मोदी है और ये गद्दारों के प्रति बड़ा निर्मोही है।

ग़द्दार डाल-डाल है तो मोदी पात-पात

लाओ अब बख्तरबंद ट्रैक्टर परेड और दिखाओ दुनिया को, कि कैसे गृहयुद्ध की तैयारियां चल रही थी पर्दे के पीछे। ये मोदी है और अबकी बार पाला देशभक्त से पड़ा है गद्दारों का। इतनी आसानी से जन सहानुभूति बटोरने का खेल नहीं खेलने देगा नरेंद्र मोदी तुम्हें।

देश विरोधी ताकतों के खर्चे पर चल रहे आंदोलन को और लम्बा चलाने के लिए ट्रैक्टर परेड को मंजूरी दे दी गई। किसान विरोधी ताकतों का पाला अबकी बार मोदी से पड़ा है… नानी याद आ जायेगी। मोदी अच्छी तरह से जानते हैं कि गद्दारों को शांतिपूर्ण तरीके से नियंत्रित करना नामुमकिन है और ये जरूर कोई न कोई चू$$पा करेंगे।

वार्ता दर वार्ता के दौरे पड़वा कर 2 महीने में अरबों रुपये खर्च करवाने के बाद अब ट्रैक्टर परेड को भी मंजूरी वो भी गृहमंत्री के अधीनस्थ दिल्ली पुलिस के मार्फ़त दिलवा दी। परेड के लिए आओ… परेड करो और वापस अपने-अपने अड्डों पर लौट जाओ।

यानी कि इससे ट्रैक्टर युद्ध की तैयारियां पूरी करके जो बख्तरबंद ट्रैक्टर तैयार किये थे वो अब परेड के दौरान दुनिया भर के लोग देखेंगे कि किस प्रकार देश में विरोधी ताकतें गृहयुद्ध की तैयारियां कर रहे हैं। इन गद्दारों को जनता में सहानुभूति बटोरने की एक भी चाल सफल नहीं होने दे रहा है मो$$या…

उलट इसके, इनके षड्यंत्र को पर्दाफाश करने के साथ ही जनता के मन में इन गद्दारों की असलियत से पर्दे खोलने का काम किया जा रहा है। मोदी अजगर की तरह धैर्यपूर्वक इन गद्दारों का राजनीतिक शिकार करने की तैयारी कर रहे हैं ताकि भविष्य में फिर किसी देशहितैषी कानून को वापस लेने या रद्द करने के लिए कोई आंदोलन करने से पहले ही उसके खर्चे व लम्बे अरसे तक चलने वाले ताम-झाम को देखकर ही सहम जाए।

ये जो आंदोलन कर रहे हैं, दरअसल ये एक प्रयोग किया जा रहा है कि अगर किसान आंदोलन के मार्फ़त मोदी को कृषि कानून रद्द करने के लिए बाध्य किया जा सकता है तो जरूर फिर धारा 370 के लिए, CAA कानून के लिए, आर्टिकल 35a को रद्द करवाने के लिए, बांग्लादेशी घुसपैठियों को नागरिकता दिलाने के लिए, रोहिंग्यों को नागरिकता देने के लिए रास्ते खुल जाएंगे।

एक बार ये इनका साथ देंगे और दूसरी बार वो इनका साथ देंगे और इस प्रकार नूराकुश्ती करके देश को हिन्दू राष्ट्र की ओर ले जा रहे नरेंद्र मोदी को रोका जा सके। ये सब लोग पर्दे के पीछे विरोधी ताकतों के मुखिया के इशारों पर ये सबकुछ कर रहे हैं। इसलिए इन्हें अब इनकी ही चाल से मात देने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।

इनके पास 2 ही विकल्प बचे हैं, या तो अनियंत्रित होकर हुड़दंग करके लठ्बाजी का लुफ्त उठाएं या फिर जहाँ से लाए गए हैं वहाँ पर लौट जाएं। 2022 तक किसानों के अच्छे दिन लाने के लिए प्रतिज्ञ मोदी को ये कुछ समय के लिए रोक सकते हैं मगर असफल नहीं कर सकते…।

🖋️ यह लेखक के निजी विचार हैं…