मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की हुई मांग, सुप्रीम कोर्ट में लंबित है सीमा विवाद का मामला

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद धीरे-धीरे तूल पकड़ रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी इलाकों को सुप्रीम कोर्ट का कोई निर्णय आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग की थी।

इसके जवाब में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने कहा कि कर्नाटक के लोगों का मन है कि महाराष्ट्र उनके राज्य का हिस्सा बने, इसलिए जबतक ऐसा नहीं होता है, मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए।

बता दें कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद का मामला बहुत पुराना है। राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना के बाद जब राज्यों का बंटवारा हुआ तभी से कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद है। उद्धव ठाकरे का आरोप है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद कर्नाटक सरकार ने विवादित क्षेत्र बेलगाम का नाम बदला।

उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘इस इलाके में रहने वाले मराठी भाषियों पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए, हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि जब तक मामला कोर्ट में है तब तक वह इस हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करे। अब कर्नाटक के डिप्टी सीएम ने इसी का जवाब दिया है।’

1956 में राज्य पुनर्गठन कानून लागू होने के बाद बेलगाम को कर्नाटक (तब मैसूर) राज्य का हिस्सा बना दिया गया। उसके बाद 1957 में बेलगाम पर हुए निर्णय का विरोध किया। तब रिटायर्ड जज मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में बने आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि उत्तर कन्नड़ जिले के कारवाड सहित 264 गांव और हलियल और सूपा इलाके के 300 गांव को महाराष्ट्र में शामिल किया जाए।

इस रिपोर्ट में बेलगाम का नाम शामिल नहीं था। रिपोर्ट में महाराष्ट्र के शोलापुर समेत 247 गांवों के साथ केरल का कासरगोड जिला भी कर्नाटक को देने की सिफारिश की गई। महाराष्ट्र और कर्नाटक, दोनों ने इन सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया।