नदी के पानी में पहली बार मिला कोरोना वायरस, इस नदी के जल में पाया गया खतरनाक वायरस

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कोरोना दवा पर निर्देश

अहमदाबाद। देश में कोरोना की दूसरी लहर में गुजरात के अहमदाबाद शहर में सबसे ज्यादा मामले सामने आए। अब तक देश के कई शहरों की सीवेज लाइनों में जीवित कोरोना वायरस पाया गया है लेकिन गुजरात में अब नदी और झील के पानी में भी कोरोना वायरस होने की पुष्टि हुई है।

अहमदाबाद में साबरमती नदी, कांकरिया झील और चंडोला झील में कोरोना वायरस पाया गया है। तीनों के पानी के सैंपल लिए गए और सभी सैंपल संक्रमित पाए गए। चार महीने में 16 सैंपल लिए गए, जिसमें पांच सैंपल पॉजिटिव पाए गए।

आईआईटी गांधीनगर सहित देश के 8 संस्थानों द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस तरह के तथ्य उजागर हुए हैं। इनमें जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंसेज के नई दिल्ली के शोधकर्ता भी शामिल हैं। असम के गुवाहाटी क्षेत्र में नदियों के एक अध्ययन में भी भरू नदी से लिए गए कोरोना के नमूने का खुलासा हुआ है।

सीवेज का नमूना लेकर की गई जांच के दौरान कोरोना वायरस की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इस अध्ययन के बाद प्राकृतिक जल स्रोत की जांच के लिए अध्ययन फिर से शुरू किया गया। इन दो शहरों का चयन करके नमूने लिए गये, क्योंकि अहमदाबाद में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों की संख्या सबसे अधिक है और गुवाहाटी में एक भी संयंत्र नहीं है।

अहमदाबाद के लिए पानी से भरी साबरमती नदी और रिवरफ्रंट को शान माना जाता है लेकिन गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि साबरमती में गंभीर प्रदूषण है। खासकर अहमदाबाद से गुजरने के बाद गंदे प्रदूषित पानी के अलावा नदी में कुछ भी नहीं बहता।

साबरमती रिवरफ्रंट के बीच में लिए गए पानी के नमूनों में भी रिवरफ्रंट निर्धारित मात्रा से अधिक प्रदूषित पाया गया, जो प्रदूषित गंदे पानी से भरे हौज के समान है। रिपोर्ट के निष्कर्षों में आगे कहा गया है कि रिवरफ्रंट के बाद नदी के निचले इलाकों में नदी का अपना पानी नहीं है।

रिवरफ्रंट के बाद साबरमती में दिखाई देने वाला पानी केवल नरोडा, ओढव, वटवा और नारोल उद्योगों का प्रदूषित बाहर आया कचरा मिश्रित जल और अहमदाबाद का सीवेज है। रिवरफ्रंट की वजह से भूजल बहना बंद हो गया है और अहमदाबाद को नर्मदा के पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

साबरमती नदी में प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी, 2017 को दायर एक रिट याचिका में एजेंसी को नदी को प्रदूषित करने वाली सभी औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।