सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड के तहत घोषित कल्याण योजना में उन बच्चों को भी शामिल करने को कहा है कि जो कोरोना के दौरान अनाथ हो गए हैं। जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये टिप्पणी की। मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर असंतोष जताया कि आदेश के बावजूद कई राज्य सरकारें अनाथ बच्चों के बारे में जानकारी नहीं जुटा पाए हैं। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को खास तौर पर फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार 2020 से लेकर अब तक केवल 27 बच्चों के अनाथ होने की बात कह रही है जबकि सभी राज्यों के आंकड़े 6855 तक की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल सरकार अनाथ बच्चों की संख्या का पता नहीं लगा पा रही है तो उसे किसी दूसरी एजेंसी को यह जिम्मा देना पड़ेगा। दरअसल, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि पीएम केयर्स योजना में उन बच्चों को शामिल किया गया है, जिन्होंने अपने माता-पिता या माता-पिता में से किसी एक को खोया है।
केंद्र सरकार ने कहा कि इस योजना के तहत 23 साल तक की उम्र तक दस लाख रुपये के कोष का प्रस्ताव है। तब कोर्ट ने कहा कि योजना के तहत उन सभी बच्चों को कवर करना चाहिए जो कोरोना काल के दौरान अनाथ हो गए थे। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले को स्पष्ट करने को कहा।
बता दें कि कोर्ट ने पिछले आठ जून को निर्देश दिया था कि एडॉप्शन विज्ञापनों और ऐसे बच्चों की तस्वीरें प्रकाशित कर पैसे मांगने वाले एनजीओ के खिलाफ सरकारें कड़ी कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा था कि अनाथ बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी का शामिल होना जरूरी है।
कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे यह सुनिश्चित करे कि ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना की वजह से अपने माता-पिता या दोनो में से किसी एक को खोया है, उनकी पढ़ाई उस स्कूल में जारी रहे जिस स्कूल में वे पढ़ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने जिलों के डिस्ट्रिक चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को निर्देश दिया था कि ऐसे बच्चों को खाना, दवा, कपड़े, राशन का बंदोबस्त सुनिश्चित करें।