श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पिछले करीब दो दशकों से म्यांमार से आकर अवैध रूप से रह रहे हजारों रोहिंग्याओं के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई शुरू की है। दो दिनों से रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई जारी है।
जम्मू में पहले फेज में कार्रवाई के बाद 155 रोहिंग्याओं को हिरासत में लेकर हीरानगर जेल के सेंटर में भजा गया। पूरी जांच के बाद गृह और विदेश मंत्रालय की सहमति के बाद उसे वापस भेजा जाएगा।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के मुताबिक, अभी तक करीब 6000 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है। बता दें कि बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से रोहिंग्या नागरिकों को वापस भेजने को चुनावी मुद्दा बनाया था।
सरकारी रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर में 13,600 विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं। उनमें से ज्यादातर रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं। जम्मू में इनकी संख्या ज्यादा है। जम्मू के बेली चराना और सांबा में यह लोग बसे हुए हैं।
रोहिंग्याओं का नाम कई बार ड्रग्स रैकेट जैसे अपराधों में सामने आया है। जम्मू के सुंजवां मिलिट्री स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में भी इसकी भूमिका सामने आई थी। जम्मू के स्थानीय लोग भी सरकार के इस कार्रवाई का स्वागत कर रहे हैं। लोगों के अंदर खुशी है कि सरकार रोहिंग्याओं पर कार्रवाई कर रही है।
जम्मू के बठिंडी में रोहिंग्याओं की सबसे ज्यादा संख्या बताई जाती है। जम्मू-कश्मीर में म्यांमार के रोहिंग्या करीब 20 साल पहले बसने शुरू हुए। 2002 में PDP-कांग्रेस की सरकार के समय में इनकी बसावट में तेजी आई।अब सरकार ने रोहिंग्या नागरिकों की पहचान करके इन्हें अस्थायी रूप से बनाए गए सेंटरों में भेजने की प्रक्रिया शुरू की है।