अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद आतंकियों के हौसले बढ़े हैं। कनाडा स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) के अनुसार, काबुल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का पतन और इसका इस्लामिक रिपब्लिक आफ अफगानिस्तान से इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान के रूप में बदलने से आतंकियों और आतंकी संगठनों का हौसला बढ़ा है।
थिंक टैंक ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर कहा कि ये काफी संदिग्ध है और पाकिस्तान वहां पर डबल गेम खेल रहा है। तालिबान ने सत्ता में आने के बाद कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन पर पर किसी तरह की कोई टेरर एक्टिविटी को इजाजत नहीं दी जाएगी।
इफ्रास की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में जिस वक्त अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज भी मौजूद थी, करीब 6000 आतंकी भी वहां पर छिपे हुए थे। अफगानिस्तान में मौजूद पाकिस्तानी आतंकी दोनों देशों के लिए बड़ा खतरा हैं।
राइट्स एडवोकेसीग्रुप ह्यूमन राइट्स वाच के मुताबिक पाकिस्तान सेना और सिविल सोसाइटी लगातार तालिबान से दक्षिण एशिया में भारत का प्रभुत्व कम करने के मकसद से संबंधों को सुधारने में लगी है। पाकिस्तान नहीं चाहता है कि भारत का प्रभाव दक्षिण एशिया में बढ़े।