किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल करते हुए पूछा है कि हमने कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है। किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होंने किसी सड़क को ब्लॉक नहीं कर रखा है। इस पर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्या मतलब है?
प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज
बता दें कि किसान महापंचायत ने एक याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि उन्हें जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने दिया जाए। इसपर अदालत ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती दी है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे। प्रदर्शन का सवाल ही कहां है?
जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इसपर बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई घटना का भी जिक्र किया। अदालत ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, वे वहां हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। हालांकि कोर्ट ने फिलहाल फैसला आने तक कृषि कानूनों पर रोक लगा रखी है। हालांकि इसके बाद किसान संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। जिसपर कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की है।