नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी हरकतों के बढ़ने की आशंका के बीच तालिबान का बयान आया है। तालिबान में एक बार फिर कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक और द्विपक्षीय मामला है। हालांकि फिर भी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी कर दी है।
काबुल में तालिबान के साथ पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-झांगवी के आतंकियों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। इन आतंकी संगठनों ने कुछ गांवों में और काबुल के कुछ हिस्सों में तालिबान की मदद से अपने चेक प्वाइंट भी बनाए हैं। ये सभी आतंकी संगठन कश्मीर में भी सक्रिय हैं।
ऐसे में इस देश में युद्धग्रस्त देश के हालातों का लाभ उठाने की स्थिति में वे नहीं हैं। तालिबान पहले ही कश्मीर को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट कर चुका है और उसने दोबारा भी कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है।
काबुल में बंद नहीं हुआ है भारतीय दूतावास
अफगानिस्तान से भारतीय राजदूत और अन्य कर्मचारियों को एयरलिफ्ट किए जाने के बाद भी वहां भारतीय दूतावास बंद नहीं किया गया है। सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि स्थानीय कर्मचारी दूतावास की कोन्सुलर सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल में मौजूद 1650 भारतीय नागरिकों ने स्वदेश वापस लौटने के लिए दूतावास में आवेदन किया है।