नई दिल्ली। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर रैली में हिंसा की जांच रिटायर्ड जजों से कराने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकार अपना काम कर रही है। जांच में कोई कमी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। हमने प्रधानमंत्री का बयान भी सुना है। उन्होंने कहा है कि कानून अपना काम कर रहा है। इसलिए सरकार को इसकी जांच करने दीजिए।
बता दें कि दिल्ली हिंसा मामले में वकील विशाल तिवारी ने जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाने की मांग की थी। तिवारी का कहना था कि इस आयोग की अगुआई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें। इनके अलावा इसमें दो रिटायर जज हाईकोर्ट के होने चाहिए। यह आयोग सबूतों को जुटाए और तय समय में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करे।
याचिका में मीडिया को यह आदेश देने की मांग की गई थी कि वह बगैर किसी सबूत के किसानों को आतंकी न कहें। वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर याचिका में मांगी की थी इसमें संबंधित अथॉरिटी और मीडिया को निर्देश दिया जाए। अगर कोई बगैर सबूत के किसान संगठनों और आंदोलनकारियों को आतंकी कहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया है।
बता दें कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर हजारों की संख्या में दिल्ली में ट्रैक्टर रैली की थी। रैली में हिंसा होने के बाद पुलिस के साथ झड़प भी हुई थी। लालकिला की प्राचीर पर धार्मिक झंडा भी अपद्रवियों द्वारा फहरा दिया गया था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय के निर्देश पर कड़ी कार्रवाई की थी। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।