नई दिल्ली। लोकसभा में पीएम मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दे रहे हैं। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आभार व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने सभी सांसदों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मैं विशेष तौर पर महिला सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।
PM Modi in Lok Sabha LIVE update –
– आबादी बढ़ रही है। जमीन का टुकड़ा छोटा हो रहा है। ऐसी चिंता जब हमारे महापुरूषों ने की है तो हमें भी कुछ करना पड़ेगा। हमारे देश में 28 प्रतिशत खेतिहर मजदूर था जो 10 साल बाद 55 प्रतिशत हो गया है। यह चिंता का विषय है। हमें इसके लिए कुछ करना पड़ेगा। हम जबतक छोटे किसानों की भलाई के लिए काम नहीं करेंगे, हम देश का भला नहीं कर सकेंगे।
– कृषि के संबंध में ग्रंथ लिखे हुए हैं। हमारे देश में किसानी समाज का एक हिस्सा रहा है। हमारे पर्व या त्योहार हो, फसल की कटाई-बुआई से जुड़े हुए हैं। हमारे यहां धन-धान्य बोला जाता है। यह समाज का हिस्सा है। हमने छोटे किसानों के संबंध में बात की है। इसको उपेक्षित करके हम देश का भला नहीं कर सकते। उसमें बदलाव जरूरी है।
– जब ये कहा जाता है कि मांगा था क्या? ये मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच, लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। ये देश की जनता ने आयुष्मान योजना नहीं मांगी थी। लेकिन हमें लगा कि जरूरत है तो दिया। किसी ने शौचालय की मांग नहीं की थी। लेकिन हमने 10 करोड़ लोगों को दिया। ये लोकतंत्र है सामंतशासन नहीं है। नागरिक को याचक बनाने से नागरिक का आत्मविश्वास खत्म हो जाता है।
– ईपीएफ पेंशन योजना, किसी को पेंशन में 50 रुपए, 100 रूपए मिलते थे। उसमें से बाहर लाकर कम से कम 1000 देने का काम हमारी सरकार ने किया। किसी ने मांगा नहीं था। हमने दिया। कोई भी आधुनिक समाज के लिए परिवर्तन बहुत आवश्यक होता है।
– क्या कभी भी इतने सुधार हुए? बदलते हुए समाज ने इसको स्वीकार किया। ये दुनिया सभी जानती है। हम ये मानते थे कि हिंदुस्तान की बहुत पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी, जिसने करीब-करीब 6 दशक तक इस देश में शासन किया। इस पार्टी का ये हाल हो गया है, कि पार्टी का राज्यसभा का सदस्य एक तरफ चलता है और लोकसभा का एक तरफ।
– पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इन मंडियों में सुधार और बेहतर बनाने के लिए इस बजट में ज्यादा धन आवंटित किया गया है। कांग्रेस और कुछ दलों ने बड़े जोर-शोर से बातें कही। इतना ही नहीं, जो लोग ये कहते हैं, हमने मांगा नहीं था तो दिया क्यों? लेना न लेना आपकी मर्जी, किसी के गले में बांधा नहीं। ये अनिवार्य नहीं है। इस देश में दहेज का कानून है, लेकिन इसके लिए कभी किसी ने मांग नहीं की थी। लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए ये आवश्यक थे, इसलिए किया गया।
– जो नया तरीका है वो आंदोलनजीवी अपनाते हैं। आंदोलनकारी ऐसा तरीका नहीं अपनाते हैं। ये जो तौर-तरीके हैं, जो भी लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, ये सरकार का नहीं देश की चिंता का विषय होना चाहिए।
– संसद में कानून बनने के बाद मैं किसी भी किसान से पूछना चाहता हूं कि पहले जो व्यस्थाएं थी, जो हक था, वो छीन ली गई हैं क्या? किसी कानून का विरोध तब होना चाहिए जब यह अनिवार्य हो। नए कानून किसी के लिए बंधन नहीं है। जो कानून थोप गया हो उसके लिए विरोध बनता है।
– हम मानते हैं कि कृषि कानूनों में अगर कोई कमी है तो उसमें बदलाव के लिए तैयार हैं। अगर सुधार आवश्यक है तो हमें कोई संकोच नहीं है। कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई है और न एमएसपी बंद हुई है। एमएसपी के तहत खरीद भी बढ़ी है और नए कानून बनने के बाद बढ़ी है।
– हम एक बात समझें, जहां तक आंदोलन का सवाल है। दिल्ली के बाहर जो किसान भाई-बहन बैठे हैं। जो भी धारनाएं बनाई गई, आंदोलन कर रहे सभी किसान साथियों की भावनाओं का सरकार आदर करती है और रहेगी। किसानों के प्रति आदर भाव के साथ वार्ता कर रहे हैं।
– कृषि कानून के रंग पर तो कांग्रेस के साथ बहुत बहस कर रहे थे, लेकिन अच्छा होता उसके कंटेंट और इंटेंट पर चर्चा करते।
– इस कालखंड में भी हमने रिफॉर्म को जारी रखा। इस परिणाम है कि जीएसटी का क्लेशन जैसे सारे आंकड़े दिखाते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था उभर रही है। दुनिया ने अनुमान लगाया है कि भारत की ग्रोथ रेट दो डिजिट वाला होगा। ये मुझे विश्वास है।
– जो आधार, जो मोबाइल, जो जनधन कोरोना काल में लोगों की मदद करने में काम आया उसको रोकने के लिए कौन-कौन कोर्ट गए थे।
– पीएम मोदी ने कहा कि श्रीमान मनीष तिवारी ने कहा कि भगवान की कृपा है कि कोरोना में हम बच गए. मैं इस पर कहूंगा कि ये भगवान की ही कृपा है कि इतनी बड़ी दुनिया हिल गई हम बच गए, क्योंकि डॉक्टर्स और नर्स भगवान बनकर आए।
– पीएम मोदी ने कहा कि आखिरी ब्रिटिश कमांडर कहा करते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र कोई नहीं बना पाएगा, लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा, जिनके मन में ये शक थे उसे समाप्त कर दिया।
– कोरोना के काल में हमने सर्वे भवंतु सुखिनः को सच किया। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। लेकिन हमें संकल्प करना चाहिए कि हम भारत को आजादी के 100 वर्षों में कहां ले जा रहे हैं।
– आज फार्मेसी में हम आत्मनिर्भर हैं। हमारे लिए आवश्यक हैं कि हम आत्मनिर्भर भारत के विचार को बल दें। ये किसी शासन व्यवस्था का विचार नहीं है। आज हिंदुस्तान के हर कोने में वोकल फोर लोकर सुनाई दे रहा है।
– भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो भी बदलाव को जरूरत हो, वो होना चाहिए। भारत जितना आत्मनिर्भर बनेगा विश्व के कल्याण के लिए बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकेगा।