पाक को बचाते-बचाते खुद फंस गया तुर्की; दोनों दोस्त ग्रे लिस्ट में

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आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान को लगातार झटके पर झटके मिल रहे हैं। पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद वह एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर नहीं निकल पा रहा है। इस मामले में एक बार फिर उसे वैश्विक संस्था से झटका लगा है। एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में बरकरार रखा है।

इसके साथ साथ इस बार उसके दोस्त तुर्की को भी झटका लगा है। एफएटीएफ ने तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कमियों के लिए ‘ग्रे लस्टि’ में शामिल किया। तुर्की के अलावा, जॉर्डन और माली को भी ग्रे सूची में जोड़ा गया है, जबकि बोत्सवाना और मॉरीशस को सूची से हटा दिया गया है।

गौरतलब है कि एफएटीएफ का फैसला तब आया है, जब पाकिस्तान और तुर्की पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। तुर्की की मुद्रा में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फीति लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वहीं पाकिस्तान कंगाली के मुहाने पर खड़ा है। अब पकिस्तान को कोई जल्दी कर्ज देने को भी तैयार नहीं हो रहा है। बता दें कि तुर्की ने अतीत में एफएटीएफ की बैठकों में पाकस्तिान का जोरदार समर्थन किया है ताकि यह सुनश्चित किया जा सके कि वैश्विक निगरानीकर्ता उसे काली सूची में नहीं डाले।

दरअसल, एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तीन दिवसीय पूर्ण बैठक बुलाई थी। एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ. मार्कस प्लीयर ने कहा कि पाकिस्तान लगातार ग्रे सूची में है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 34 सूत्रीय एजेंडे में से चार को पूरा करने में विफल रही है। पाक ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। पाकिस्तान जून, 2018 से इस सूची में है। प्लीयर ने कहा था कि पाकिस्तान तब तक ग्रे लिस्ट में रहेगा तब तक कि वह जून, 2018 में सहमत कार्य योजना को पूरा नहीं कर लेता।

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 34 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी, मगर पाकिस्तान अभी तक इसे पूरा नहीं कर पाया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकियो मसूद अजहर आदि पर कार्रवाई भी शामिल है।

क्या है एफएटीएफ

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ एक इंटरनेशनल निगरानी निकाय है, जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखना और कार्रवाई करना है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।