सुकमा में सुरक्षा बलों के बेस कैंप पर हमला, फायरिंग में तीन की मौत

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कैंप पर नक्सली हमला

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सरहदी गांव सिलगेर में सुरक्षाबलों के नए बेस कैम्प का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने सोमवार को कैंप पर हमला कर दिया। इस दौरान हुई फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि तीन दिन पूर्व भी इस कैम्प को हटाने की मांग को लेकर ग्रामीण विरोध में आये थे, जिसे पुलिस प्रशासन ने समझाकर लौटा दिया था।

पुलिस का दावा है कि फायरिंग में मारे गए लोग नक्सली हैं। हालांकि अभी तक किसी की शिनाख्त नहीं हुई है। मामला सुकमा-बीजापुर जिले के सीमावर्ती इलाके में तरेम थाना क्षेत्र का है। सूत्र बताते हैं कि इस विरोध में सिंगावरम, सिमलीपेटा, बोडकेल, करकेमगुड़ा, सिंगलेर, उडसेगेल, मेडिल, चिन्नागेल्लुर व पेद्दागेल्लूर के लोग शामिल हैं।

बस्तर आईजी सुंदरराज पी. का दावा है कि नक्सलियों ने ग्रामीणों की आड़ में कैम्प पर धावा बोला था। जवाबी कार्रवाई में तीन नक्सली ढेर हुए हैं। उन्होंने बताया कि सिलगेर में 12 मई को नए कैम्प को स्थापित किया था, जिसका विरोध ग्रामीण कर रहे थे। उन्हें लगातार समाझाया भी जा रहा था। लेकिन सोमवार की दोपहर ग्रामीणों की भीड़ के साथ आये जगरगुंडा कमेटी के नक्सलियों ने कैंप पर फायरिंग करनी शुरू कर दी।

इस पर फोर्स ने एक्शन लिया। इसके बाद सर्चिंग की गई तो तीन शव बरामद हुए। इनमें किसी की शिनाख्त नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि कैम्प और सुरक्षाबल के जवान पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

जानकारी के अनुसार, नक्सली ग्रामीणों की मदद से बीते 14 मई से ही कैम्प खुलने का विरोध कर रहे हैं। सोमवार को हजारों की संख्या में ग्रामीण की भीड़ के साथ आये नक्सलियों ने कैम्प पर हमला कर दिया। सुरक्षाबलों की ओर से कार्रवाई की गई, जिसमें तीन व्यक्ति मारे गए।

दरअसल, सुकमा और बीजापुर सीमा क्षेत्र से लगे 15 गांव के ग्रामीण इसके विरोध में थे। इन ग्रामीणों की मानें तो यहां कैम्प खुलने के बाद उनको नक्सली प्रकरण में परेशान करने एवं मार-पीट की आशंका को लेकर कैम्प का विरोध करीब तीन चार दिन पहले से जारी है। बता दें कि ये वही इलाका है जहां विगत माह हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे।

चार दशक से ये इलाका का नक्सलियों का है कोर जोन

ये इलाका नक्सलियों का कोर जोन है। सुरक्षाबल की संयुक्त बटालियन का इस इलाके में नए कैम्प खुलने से नक्सलियों की पकड़ कमजोर हो जाएगी। नक्सली किसी भी कीमत में कैम्प स्थापित नहीं होने देना चाहते हैं। क्योंकि ये इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित माना जाता है। इसलिए ग्रामीणों को आगे कर नए कैम्प का विरोध किया जा रहा है।

बड़े नक्सली कैडर की रहती है इलाके में धमक

सूत्रों की मानें तो इस इलाके में दक्षिण बस्तर के बड़े कैडर के नक्सली की आये दिन मौजूदगी रहती है। यहां पर सुरक्षा बलों का कैम्प स्थापित होने से नक्सलियों के लिए बड़ा नुकसान होगा। नक्सलियों की पकड़ इस इलाके में कमजोर पड़ेगी और उनका आधार क्षेत्र सिमट जाएगा।