योगगुरु रामदेव का ऐलोपेथी चिकित्सा पद्धति पर विवाद जल्‍द सुलझाए केंद्र सरकार : शान्‍ता कुमार

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ऐलोपेथी विवाद

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्‍ता कुमार ने कहा है कि स्वामी रामदेव ने भारत में एक अत्यन्त सराहनीय और ऐतिहासिक काम योग को घर-घर तक पहुंचा कर किया है। उसी के कारण नरेन्द्र मोदी के प्रयत्नों से विश्‍व के 165 देशों के समर्थन से राष्ट्र संघ में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस तय हुआ था।

महात्मा गांधी के सपने स्वदेशी को स्वामी रामदेव ने साकार करके दिखाया। पंतजलि के शुद्ध उत्पादों के कारण देश में लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया। इस नजरिए से स्वामी रामदेव भारत में स्वदेशी क्रान्ति के अग्रदूत हैं।

उन्होंने कहा कि ऐलोपेथी पद्धति के साथ उनका विवाद अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। शान्‍ता कुमार ने उन्हें प्रणाम करते हुए यह कहा है कि इस विवाद से स्वामी रामदेव की ऐतिहासिक और उज्जवल छवि पर बहुत बड़ी आंच आ रही है। जिसके कारण मेरे जैसे देश के करोड़ों लोग बहुत व्यथित हैं।

शान्‍ता कुमार ने कहा कि आयुर्वेद और ऐलोपेथी दोनों पद्धतियां मानवता की सेवा कर रही है। योग की तरह आयुर्वेद भी भारत के मनीशियों की एक बहुत बड़ी देन है। विश्‍वभर के डाक्टरों, वैज्ञानिकों की तपस्या से ऐलोपेथी भी एक बहुत विकसित पद्धति बन गई है। दोनों पद्धतियों का कोई मुकाबला वैसे ही नहीं किया जा सकता जैसे दो महापुरूषों का मुकाबला नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षबर्धन के प्रयत्नों से स्वामी रामदेव ने अपना बयान वापस लिया परन्तु उसी के साथ एक विवाद और शुरू कर दिया। अब यह विवाद अदालतों में जाने लगा है।

शान्‍ता कुमार ने डॉ. हर्षबर्धन से फोन पर बातचीत कर विशेष आग्रह किया है कि वे इस विवाद को जल्‍द सुलझायें। यह विवाद जितना बढ़ेगा उतनी ही देश की छवि को आंच आएगी। शान्‍ता कुमार स्वयं भी स्वामी रामदेव से बात करने का प्रयत्न कर रहे हैं।