कोरोना बार-बार आने वाली चुनौती, बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी : विदेश मंत्री

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कोरोना काल में वैश्विक साझेदारी

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि कोरोना महामारी को एक बार आने वाली चुनौती के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इन चुनौतियों से निपटने के लिए पहले से कहीं बड़े स्तर पर सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने स्वभाविक बदलाव लाया है और दवाब के चलते आत्मकेन्द्रित सोच बढ़ी है और सामूहिक प्रयासों की तरफ से ध्यान हटा है।

उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण, कई आपूर्ति श्रृंखलाओं और विकास के अधिक इंजनों के साथ ही दुनिया अगली महामारी का सामना बेहतर तरीके से कर सकती है। दुनिया की स्वास्थ्य और चिकित्सा आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं की वैश्विक प्रकृति को स्वीकार करना होगा।

निक्की की ओर से आयोजित ‘फ्यूचर ऑफ एशिया’ शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान क्षमताओं का लाभ उठाना, प्रतिबद्धताओं न निभाना, आपूर्ति श्रृंखलाओं को अवरुद्ध करना, रसद बाधित होना और इनके साथ अनिश्चितता बने रहने जैसी चिंताजनक स्थितियां हमारे सामने आई हैं। ऐसे में कोरोना महामारी के बाद दुनिया में रणनीतिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने की सोच पैदा हो रही है। साफ जाहिर है कि विश्व अर्थव्यवस्था वर्तमान में कुछ चुनिंदा उत्पादन केन्द्रों पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि कोरोना की इस स्थिति में अनजाने में ही संस्कृति, रुची और मूल्यों के परस्पर प्रभाव से एक अंतर्दृष्टि उभरी हैं। बहुलवादी समाज दुनिया के साथ अधिक जुड़े रहे और दक्षिण में अंतराष्ट्रीय एकजुटता मजबूत हुई। जिन लोगों ने दुनिया को केवल एक बाज़ार-स्थल के बजाय एक कार्यस्थल के रूप में देखा उनमें स्पष्ट रूप से जुड़े रहने में गहरी रुचि दिखाई दी।

जयशंकर ने कहा कि कोरोना महामारी के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को हम समझ रहे हैं लेकिन अभी तक हम इसके विश्व व्यवस्था और एशिया के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभाव को नहीं समझ पाये हैं। कोविड -19 दुनिया को एक दूसरे के बारे में राष्ट्रों की धारणाओं और गणनाओं को बदलकर नया आकार दे रहा है। इसमें सप्लाई चेन में विश्वास और पारदर्शिता को महत्व देना, रणनीतिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना, वैश्विक स्तर पर क्षमताओं को बढ़ाना और इसके लिए विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण और विश्व अर्थव्यवस्था को जोखिम से मुक्त करने के लिए लचीला आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना शामिल है।

अपने उदबोधन के अंत में विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड चुनौती ने निश्चित रूप से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूरी बना दिया है, चाहे वह वैक्सीन उत्पादन में हो या आर्थिक सुधार की सुविधा। ऐसे में साझा हितों और समान मूल्यों वाले लोगों के लिए मजबूत साझेदारी बनाना आसान होगा। वास्तविक बदलाव लाने के लिए, वैश्विक व्यवस्था को उन चिंताओं और मुद्दों का समाधान करना चाहिए जो महामारी ने उत्पन्न की हैं।