एलजेपी का ‘चिराग’ पूरी तरह से बुझा, सूरजभान सिंह बने नए ‘दीपक’

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एलजेपी के चिराग

संतोष सुमन। बिहार में बड़ी ही तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बद रहा है। अब एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से चिराग पासवान को बेदखल कर दिया गया है। चिराग पासवान और उनके समर्थक अब आर-पार के मूड में आ गए हैं।

चिराग पासवान को एलजेपी (LJP) के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सूरजभान सिंह को नया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। चिराग को अपने भाई प्रिंस से काफी उम्मीदें थी। लेकिन भाई प्रिंस ने भी साथ नहीं दिया। प्रिंस की गद्दारी से चिराग को बहुत ही गहरा आघात पहुंचा है।

पार्टी में चल रही खींचतान के बीच चिराग पासवान ने ट्विटर पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा, ‘पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा। पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं।’

एलजेपी में हुई इस टूट के पीछे राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार का हाथ होने की चर्चा है। हालांकि खुले तौर पर यह बात सामने नहीं आई है। लेकिन नीतीश कुमार कोई नए खिलाड़ी नहीं हैं। जब-जब उनको किसी से धोखा या संयंत्र मिला है, उन्होंने इसका शानदार जवाब भी दिया है। भले ही चाहे वो पीएम मोदी हों, लालू यादव हों या फिर एलजेपी के पूर्व अध्यक्ष रामविलास पासवान हो, या जीतन राम मांझी या उपेंद्र कुशवाहा हों।

नीतीश कुमार ने समय और अपनी राजनीतिक सूझबूझ का उचित उपयोग करते हुए दोस्तों से दोस्ती और दुश्मनों से दुश्मनी भी बड़ी ही सिद्दत से निभाई है। बिहार में विधानसभा चुनाव में हुए नुकसान को वो अभी तक पचा नहीं पाए हैं।

भले ही बीजेपी की अनुकंपा पर नीतीश कुमार बिहार के सीएम बन गए लेकिन वो लगातार अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं। लिहाजा उन्होंने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए अपने सारे घोड़ों को छोड़ दिया।

सबसे पहले नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को अपने पाले में लिया। उसके बाद नीतीश को एलजेपी मामले में पहली कामयाबी तब मिली जब पार्टी के इकलौते विधायक को अपने पाले में कर लिया।