रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अग्नि-5 का आगे यूजर ट्रायल होने से इनकार किया है। पांच हजार किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली इस मिसाइल का भारत पहले ही सात परीक्षण कर चुका है, इसलिए अब भारत परमाणु सक्षम मिसाइल का कोई परीक्षण नहीं करने जा रहा है।
मिसाइल का पहला यूजर ट्रायल 23 सितंबर को किये जाने की खबरें थीं लेकिन दिनभर इन्तजार के बाद डीआरडीओ प्रमुख जी.सतीश रेड्डी ने देर रात अग्नि-5 को यूजर ट्रायल किये बिना ही सेना और वायुसेना में शामिल किये जाने के संकेत दिए हैं।
डीआरडीओ प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइल प्रणाली (एमआरएसएएम) 9 सितम्बर को राजस्थान के जैसलमेर में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय वायु सेना को सौंपी है। इस मिसाइल में 50-70 किमी. की दूरी पर दुश्मन के विमान को मार गिराने की क्षमता है।
यह प्रणाली भारत और इजराइल ने संयुक्त रूप से विकसित की है और यह भारतीय वायुसेना को अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने और दुश्मन के विमानों से बचाने में मदद करेगी। यह आकाश के बाद दूसरा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो वायुसेना में शामिल किया गया है।
परमाणु सक्षम इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 मिसाइल को भी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने मिलकर बनाया है।
बता दें कि अग्नि मिसाइल भारत के पास विभिन्न संस्करणों में उपलब्ध है। अग्नि मिसाइल को पूर्व राष्ट्रपति और भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने बनाया था। अब्दुल कलाम को इसी कारण मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है।
रक्षा के क्षेत्र में अग्नि मिसाइल के अलावा भारत के पास अकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम जैसे आधुनिक और ताकतवर मिसाइल सिस्टम मौजूद है। इसके अलावा भारत के पास रक्षा से जुड़े कई प्रकार के सैन्य संसाधन मौजूद हैं।
अग्नि-5 के सेना में शामिल होने के बाद भारतीय सेना की ताकत में कई गुना वृद्धि हो जाएगी। अग्नि फाइव मिसाइल सिस्टम आने के बाद चीन का पूरा इलाका भारत के कब्जे में होगा। विषम परिस्थितियों में भारत अग्नि-5 का इस्तेमाल कर अपने सुरक्षा को चाक-चौबंद कर सकता है।