उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान 9 सितम्बर को दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां आपात स्थिति में लड़ाकू विमानों को हाइवे पर उतारा जा सकेगा। भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से 40 किलोमीटर अंदर भारतमाला परियोजना के तहत एक ऐसा हाइवे बनाया गया है, जहां से लड़ाकू विमानों का संचालन किया जा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से सटे जालोर जिले में एनएच-925ए पर भारतमाला परियोजना के तहत रनवे बनाया गया है। जालोर जिले के अगड़ावा से सेसावा के बीच आपातकालीन हवाई पट्टी बनकर तैयार हो गई है। इस पट्टी का आपात स्थिति के समय वायुसेना और सेना के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
करीब 33 करोड़ की लागत से बनी इस हाइवे की हवाई पट्टी का लोकार्पण देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 9 सितम्बर को सुबह 11 बजे करेंगे। हवाई पट्टी के पास डोम तैयार हो रहा है, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों का कार्यक्रम होगा।
इस दौरान हाइवे पर लगभग तीन घंटे तक कई फाइटर प्लेन का ट्रायल भी होगा और बॉर्डर इलाका लड़ाकू विमानों की आवाज से गूंज उठेगा। एनएचएआई की ओर से भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बने हाइवे पर 3 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बाड़मेर-जालोर बॉर्डर पर बनाई गई है।
एनएचएआई की ओर से भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल करने के लिए भारत-पाकिस्तान बॉर्डर की यह पहली हवाई पट्टी है, जिसका लोकार्पण करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का पहली बार सीधे हाइवे की आपातकालीन हवाई पट्टी पर ही उतरने का कार्यक्रम है।
फाइटर प्लेन के पार्किंग तक की सुविधा
हवाई पट्टी के दोनों सिरों पर 40 x 180 मीटर की दो पार्किंग भी बनाई गई है, ताकि, फाइटर प्लेन को पार्किंग में रखा जा सके। इसके अलावा 25 x 65 मीटर आकार की एटीसी प्लिंथ का डबल मंजिला एटीसी केबिन के साथ निर्माण किया गया है, जो पूरी तरह से वॉशरूम सुविधायुक्त है।
हवाई पट्टी के सहारे से 3.5 किमी. लंबी 7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड भी बनाई गई है। बॉर्डर इलाके में गांधव से साता, बाखासर, गागरिया तक एनएच-925 और 925ए का निर्माण करवाया गया है। ये हाइवे 2019 में ही पूरा हो गया था। भारतमाला प्रोजेक्ट के इन दोनों हाइवे पर करीब 962 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।