लखनऊ। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अपराधियों के अंदर खौफ का माहौल है। योगी सरकार बनने के बाद यूपी पुलिस ने 8,472 मुठभेड़ों में 3,302 कथित अपराधियों को गोली मारकर घायल किया। इन मुठभेड़ों में मरने वालों की संख्या 146 है।
योगी सरकार बनने के बाद जिस तरह से सरकार ने पुलिस को छूट दी है उसपर कई बार विपक्षी दलों ने सवाल खड़ा किया है। जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी कई हत्याओं का हवाला देते हुए उनपर गंभीरता से विचार करने को कहा। विपक्षी दलों ने योगी सरकार के इस पॉलिसी को ‘ठोक दो’ की नीति कहा।
हालांकि यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि पुलिस मुठभेड़ों में घायलों की बड़ी संख्या बताती है कि अपराधियों को मारना पुलिस का प्राथमिक मकसद नहीं है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक उद्देश्य व्यक्ति को गिरफ्तार करना है।
उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। ड्यूटी पर रहते हुए, अगर कोई हम पर गोली चलाता है, तो हम जवाबी कार्रवाई करते हैं और यह पुलिस को दी गई कानूनी शक्ति है। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ घायल हो जाते हैं तो कुछ की मौत हो जाती है।
एडीजी ने कहा कि हमारे लोग भी मारे गए हैं और घायल हुए हैं। अगर कोई अवैध काम करता है, तो पुलिस प्रतिक्रिया करती है। हालांकि, हमारा मुख्य मकसद व्यक्ति को मारना नहीं बल्कि गिरफ्तारी करना है।
सबसे ज्यादा एनकाउंटर मेरठ में
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार देखें तो सबसे ज्यादा मुठभेड़ यूपी के मेरठ में हुई है। मेरठ 2,839 मुठभेड़, 5,288 गिरफ्तारियाँ, 61 मौतों और 1,547 घायलों के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद आगरा का नंबर आता है। आगरा में मार्च 2017 से अबतक 1,884 मुठभेड़, 4,878 गिरफ्तारी, 18 मौत और 218 अपराधी घायल हुए हैं।
सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी कानपुर में मारे गए
कानपुर क्षेत्र में सबसे अधिक पुलिस की मौतें हुईं। सूची में सभी आठ पुलिसकर्मी गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गए थे, जहां बिकरू गांव में हुए हमले में उन्हें मार दिया गया।