बैंकों का निजीकरण सरकार क्यों कर रही है? जानें वित्त मंत्री ने क्या कहा इसके बारे में

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बैंकों का निजीकरण

नई दिल्ली। देश के कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार अडिग है। मामले में बैंक कर्मचारी और विपक्ष लगातार सरकार की आलोचना कर रही है। बैंक कर्मियों ने 15 और 16 मार्च को इसके विरोध में देशव्यापी हड़ताल भी किया है।

इन सबके वाबजूद केंद्र सरकार बैंकों के निजीकरण करने के अपने फैसले पर अडिग है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों का निजीकरण करने के बारे में विस्तार से बताया।

वित्तमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश में कुछ बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ ठीक-ठाक काम कर रहे हैं लेकिन कुछ बैंक ऐसे भी हैं, जो संकटग्रस्त हैं और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि हमें ऐसे बैंकों की जरूरत है जो उच्च स्तर के हों। बैंकों का मर्जर भी इसलिए किया जा रहा है ताकि बड़े बैंक निकलें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें।

वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में भी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की मौजूदगी है और रहेगी। सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं हो रहा है। केवल उन बैंकों की पहचान की गई है जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पूंजी नहीं जुटा पा रहे हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि जिन बैंकों के प्राइवेटाइज होने की संभावना है, उनके साथ हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे काम करते रहें और कर्मचारी और ग्राहकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए। हम उन्हें इसलिए प्राइवेटाइज कर रहे हैं ताकि वे मजबूत हो सकें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें। उन्हें इक्विटी हासिल हो सके।

इसके साथ ही वित्तमंत्री ने कहा कि हर बैंक बिक रहा है और प्राइवेट बन जाएगा, यह मान लेना सही नहीं है। सालों से बैंक में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उनकी सैलरी, स्केल, पेंशन सभी चीजों का ध्यान रखा जाएगा।