लखीमपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। पुलिस की कार्रवाई में स्थूलता बरतने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया है कि क्या हत्या के आरोपियों को पुलिस नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाती है? मुख्य न्यायाधीश ने पूछा है कि अब तक हत्यारोपी को हिरासत में किस आधार पर नहीं लिया गया?
वही कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए राज सरकार की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि किसानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली के घाव नहीं दिखे इसलिए उन्हें नोटिस भेजा गया था। उन्होंने बताया कि घटनास्थल से दो कारतूस बरामद हुए हैं। इससे लगता है कि आरोपी का निशाना कुछ और था।
पुलिस द्वारा आशीष मिश्रा को नोटिस भेजे जाने के मामले में कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति पर मौत या गोली से घायल करने का आरोप है, उसके साथ इस देश में इस तरह का व्यवहार किया जाएगा? इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि अगर व्यक्ति नोटिस के बाद नहीं आता है तो कानूनी शक्ति का सहारा लिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
लखीमपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि जांच अब तक कहां पहुंची है? कौन-कौन आरोपी है और अब तक उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं? यूपी सरकार की तरफ से इस मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे अपना पक्ष रख रहे हैं।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने यूपी सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जब तक कोई अन्य एजेंसी से संभालती है तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहे। कोर्ट ने कहा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में यूपी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है।