नई दिल्ली। लंबे समय से इन्तजार के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड के 41 कारखानों को सात कॉर्पोरेट संस्थाओं में बदले जाने की मंजूरी दे दी। अब इन्हें रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) की तर्ज पर कॉर्पोरेट कल्चर में बदला जायेगा।
मंजूरी मिलने से इन रक्षा कारखानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के अलावा इन्हें लाभदायक बनाने का रास्ता साफ हो गया है। मौजूदा समय में 200 वर्ष से ज्यादा पुराना ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड 41 कारखानों को नियंत्रित करता है। ओएफबी का निगमीकरण करने से आयुध आपूर्ति की स्वायत्ता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार होगा।
ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड की स्थापना 1775 में अंग्रेजों ने की थी लेकिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल का फैसला लागू होते ही इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए बोर्ड से जुड़े 82 हजार कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि उन्हें इस फैसले से कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। उनकी सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा, जिसका उल्लेख कैबिनेट नोट में भी किया गया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा निर्णय है जिससे देश रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। सरकार का यह कदम इन कंपनियों को स्वायत्तता देगा और जवाबदेही और दक्षता में सुधार करने में मदद करेगा। ओएफबी के पुनर्गठन का उद्देश्य आयुध कारखानों को उत्पादक और लाभदायक संपत्तियों में बदलना, प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, गुणवत्ता में सुधार करना और लागत दक्षता हासिल करना है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि हथियार और उपकरण समूह मुख्य रूप से छोटे हथियारों, मध्यम और बड़े कैलिबर की तोपों और अन्य हथियार प्रणालियों के उत्पादन में लगे रहेंगे। उम्मीद है कि सेनाओं की मांग पूरी करने के साथ-साथ घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगे। नया ढांचा ओएफबी की मौजूदा प्रणाली में विभिन्न कमियों को दूर करने के साथ ही इन कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने और निर्यात सहित बाजार में नए अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहन देगा।