केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन के एक वर्ष की उपलब्धियों पर एक पुस्तिका का विमोचन किया। इसके अलावा एनईपी के तहत कुछ पहलों का भी शुभारंभ किया।
इस मौके पर प्रधान ने नई शिक्षा नीति को भविष्योन्मुखी बताते कहा कि हमारी नीति आने वाली शिक्षा की चुनौतियों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आंकड़ा प्राप्त करने का कोई मसौदा नहीं है बल्कि 21वीं सदी में भारत की मूल्य व्यवस्था और नागरिकों में विश्व कल्याण की भावना को भरना इसका उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा कोई अंकगणित या डिग्री प्राप्त करने कि कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। शिक्षा से चरित्र एवं राष्ट्र निर्माण होता है। आजाद भारत में संविधान सभा के बाद 21वीं सदी में सर्वसम्मति से यदि कोई मसौदा बना है तो वह आज की नई शिक्षा नीति है। यह हम सभी का सौभाग्य है कि उस शिक्षा नीति को एक साल और एक माह पूरा होने करने के करीब है।
प्रधान ने नीति के क्रियान्वयन को चुनौती बताते हुए कहा कि कोई भी सरकार गलत नीति नहीं बनाती। उसके पीछे उद्देश्य रहते हैं। आजादी के बाद किसी भी सरकार ने जो नीतियां बनाई हैं उसके शुरुआत से लेकर अंत तक एक विजन रहता है लेकिन उसको लागू करना एक चुनौती होता है। प्रधान ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले 75 सालों में यह मसौदा फाइलों में छिपा था।
पुस्तिका के विमोचन के अलावा शिक्षा मंत्री ने एनईपी 2020 के तहत कुछ पहलों का भी शुभारंभ किया। इनमें दीक्षा पर निपुन भारत एफएलएन उपकरण और संसाधन शामिल हैं। यह निपुन भारत के कार्यान्वयन के लिए राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों और शिक्षकों की सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए दीक्षा के तहत विकसित एफएलएन संसाधनों से जुड़ा एक अलग कार्यक्षेत्र है।