ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोरोना रोधी वैक्सीन की तीसरी डोज वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा पैदा करती है।
क्लीनिकल ट्रायल के दौरान यह पाया गया कि तीसरी डोज मजबूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। इस नतीजे से यह संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा पाने के लिए लोगों को इस वैक्सीन की तीसरी डोज एक विकल्प हो सकती है।
फिलहाल अभी तक लोगों को इस वैक्सीन की दो डोज दी जाती है। ब्रिटेन में जहां दोनों डोज के बीच चार से 12 हफ्ते का अंतर रखा गया है, वहीं भारत में यह अंतराल 12-16 हफ्ते का है। भारत में यह वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से है, जिसका उत्पादन व वितरण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआई) करती है।
शुरुआती आंकड़ों के बावजदू इस ट्रायल के आंकड़ों की समीक्षा की जानी बाकी है। ब्रिटेन में 90 लोगों पर इसका ट्रायल किया गया है। इन लोगों को दूसरी डोज लेने के लगभग 30 हफ्ते बाद मार्च में इसकी तीसरी डोज दी गई थी।
विश्लेषण में पाया गया कि तीसरी डोज के बाद वालंटियर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी का स्तर दूसरी डोज लेने के एक महीने के बाद के स्तर से भी बहुत ज्यादा बढ़ गया। दोनों डोज के असर कम होने पर तीसरी डोज व्यापक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर एंड्र्यू पोलार्ड ने कहा कि यह बहुत ही उत्साहजनक डाटा है जो बताता है कि बूस्टर डोज दी जा सकती है और वह प्रतिरक्षा को मजबूत करने में बहुत प्रभावी होगी।