तालिबान ने दावा किया है कि उसने अब सीमा क्षेत्रों (बॉर्डर एरिया) पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान की पश्चिम सीमा में ईरान, पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान और उत्तर में तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान से लगती है।
तालिबान का दावा है कि अब उनके लड़ाकों ने इन इलाकों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। इन इलाकों पर कब्जा करने पर यहां से होने वाली व्यापारिक गतिविधियां रुक गई हैं। इन मार्गों से आने-जाने वाले वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित हो रही है।
पाकिस्तान-ब्लूचिस्तान सरकार के पूर्व सलाहकार जेन अचकजई ने मीडिया को बताया कि गनी की सरकार अब अधिक समय तक नहीं टिकेगी, क्योंकि तालिबान ने रणनीतिक सप्लाई लाइन को बंद कर दिया है और सीमाई क्षेत्रों को नियंत्रण में ले लिया है। साथ ही खाद्य आपूर्ति को बाधित कर दिया है।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि इसी तरह तालिबान का कब्जा करना जारी रहा तो ऊर्जा और खाद्य सामाग्री की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
इस रणनीति के पीछे बहुत तेज दिमाग वाले लोग काम कर रहे हैं। इनका उद्देश्य सरकार को वास्तविक रूप में आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना है। उनका मानना है कि तालिबान जल्द ही निर्यात और आयात वस्तुओं पर भारी शुल्क और कर वसूलना शुरू कर देगा।
उल्लेखनीय है कि तालिबान ने पश्चिमी अफगानिस्तान के प्रमुख इलाकों को अपने कब्जे में ले लिया है। हेरात प्रांत में ईरान के साथ रणनीतिक इस्लाम कला सीमा को अपने नियंत्रण में ले लिया है जो अफगान के तेल और पारगमन व्यापार के लिए मुख्य मार्ग है।