संतोष सुमन। विदेशी सैनिकों की वापसी जैसे-जैसे हो रही है, अफगानिस्तान में हालात और खराब होते जा रहे हैं। अफगानिस्तान के कई जिलों में तालिबान ने कब्जा कर लिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के अनुसार, तालिबान ने 193 जिला केंद्रों और 19 सीमावर्ती जिलों पर कब्जा कर लिया है।
अफगानिस्तान में तालिबान की क्रूरता लगातार बढ़ती जा रही है। तालिबान द्वारा की गई हिंसा में अबतक 2 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। तालिबान के आतंक से परेशान होकर लोग अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। हर सप्ताह यहां से 30 हजार लोग दूसरे देश जा रहे हैं।
बहुत लोग ऐसे भी हैं जो मजबूर हैं। वे लोग अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। कुछ अपने रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि लोग अवैध तरीकों से सीमा पार करने के लिए तस्करों तक की मदद ले रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, इस साल अबतक 3 लाख 30 हजार लोग अफगानिस्तान से विस्थापित हुए हैं। इनमें से आधे से ज्यादा लोग अपने घरों को इसलिए छोड़ रहे हैं क्योंकि यहां से अब विदेशी सैनिकों की वापसी हो रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हजारों लोग पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ने के लिए पासपोर्ट और वीजा सुरक्षित करने में जुटे हुए हैं। कई लोग अवैध तरीके से सीमा पार करने के लिए मजबूर हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के मुताबिक, मई में अफगानिस्तान छोड़ने वाले लोगों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
बता दें कि शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के प्रवक्ता बाबर बलूच ने जुलाई में कहा था, “अफगानिस्तान एक और मानवीय संकट के कगार पर है। अफगानिस्तान में शांति समझौते तक पहुंचने और मौजूदा हिंसा को रोकने में नाकामयाबी के कारण विस्थापन होगा।”
कोरोनावायरस प्रतिबंधों ने कानूनी और अवैध प्रवास को और अधिक कठिन बना दिया है, क्योंकि देशों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है और शरणार्थी कार्यक्रमों को वापस ले लिया है, जिससे हजारों प्रवासी खतरनाक रास्तों से यूरोप की यात्रा करने के लिए मजबूर हैं।