बड़ा फैसला: किसी को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल गलत – सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग किसी व्यक्ति को बदनाम करने के लिए नहीं किया जा सका। कोर्ट ने भाषा पर संयम बरतने को भी कहा। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के एक शिक्षक को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इंकार करते हुए यह बातें कही।

शिक्षक पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ फेसबुक पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि लोगों को सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति के खिलाफ आलोचना या मजाक करते वक्त अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए।

पीठ ने यूपी के फिरोजाबाद के एसआरके कॉलेज में इतिहास के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शहरयार अली की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘आप इस तरह महिलाओं को बदनाम नहीं कर सकते। आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ बदनाम करने के लिए नहीं कर सकते। आखिर किस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है? आलोचना या मजाक करने की भी एक भाषा होती है।’

क्या है मामला?

मामले के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ कथित रूप से अश्लील फेसबुक पोस्ट करने के आरोप में पुलिस ने शहरयार अली के खिलाने मुकदमा दर्ज किया था। भाजपा के एक नेता की शिकायत पर प्रोफेसर को भारतीय दंड संहिता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपित किया गया है।