15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने अंतरिम सरकार का ऐलान कर दिया है। तालिबान ने सरकार में 33 में से 20 कंधार केंद्रित तालिबान गुट और हक्कानी नेटवर्क के कट्टरपंथी हैं। इनमें से कई आतंकी भी हैं जिसे संयुक्त राष्ट्र ने आतंकियों की सूची में डाला हुआ है।
पाकिस्तानी अखबार ‘इंटरनेशनल द न्यूज’ के पत्रकार जियाउर रहमान ने ट्वीट कर बताया है कि तालिबान की अंतरिम सरकार में कम-से-कम छह ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के जामिया हक़्कानिया सेमीनरी यानी अकोरा खट्टक से तालीम हासिल की है।
ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि तालिबान की राजनीतिक विंग के प्रमुख और दोहा में अमेरिका से वार्ता करने वाले अब्दुल गनी बरादर को सरकार की कमान मिल सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उसे लगभग किनारे कर दिया गया है।
तालिबान सरकार का प्रमुख बनाया गया है कट्टरपंथी और रहबरी-शूरा काउंसिल के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को। अखुंद तालिबान सरकार में प्रधानमंत्री होगा। मुल्ला अखुंद ने वर्ष 2001 में बामियान में बुद्ध की मूर्तियां तुड़वाई थीं।
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के करीबी माने जाने वाले मुल्ला बरादर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख मोहम्मद फैज हामिद के इशारे पर किनारे लगाया गया है। कहा जा रहा है कि मुल्ला बरादर पर पाकिस्तान को भरोसा नहीं है। पाकिस्तान को लगता है कि मुल्लाह बरादर अमेरिका के दवाब में काम कर सकते हैं।
हक्कानी भारत के लिए सिरदर्द
भारत के लिए चिंता का सबब सरकार में कट्टरपंथी हक्कानी नेटवर्क का दबदबा होना भी है। हक्कानी नेटवर्क का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी गृह मंत्री बन गया है। हक्कानी नेटवर्क आईएसआई का पसंदीदा है और भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों में इस संगठन का नाम आ चुका है।