ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स केस: हाईकोर्ट में नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर आज भी होगी सुनवाई

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ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स केस

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की बरामदगी के मामले में आरोपित नवनीत कालरा की ट्रायल कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दिया है। इस मामले पर सुनवाई आज यानि 14 मई को भी जारी रहेगी। आज नवनीत कालरा की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कालरा ने कोई अपराध नहीं किया है और सारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है।

वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि कोरोना के वर्तमान संकट में लोगों से लाभ कमाने के लिए जमाखोरी की गई। करीब सवा दो घंटे तक चली सुनवाई में नवनीत कालरा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मीडिया ट्रायल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नवनीत कालरा ने न तो ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर का आयात किया है और न ही इसके निर्माता हैं।

कालरा रेस्टोरेंट चलाते हैं और उनका पुराना ऑप्टिकल का व्यवसाय है। कालरा की समाज में जड़ें हैं। कालरा ने हाल ही में ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर का बिजनेस शुरु किया है। उन्होंने जीएसटी का भुगतान किया है और उसकी जमाखोरी नहीं की है। उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 के तहत इसे शामिल नहीं किया गया है।

सिंघवी ने कहा कि कालरा ने हाल ही में इन ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स को मैट्रिक्स सेलुलर से खरीदा था। इसकी रसीदें सार्वजनिक की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स आवश्यक वस्तु अधिनियम में नहीं रखा गया है। कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि कितने ऑक्सीजन कंसेट्रेटर्स जब्त किए गए हैं। तब सिंघवी ने कहा कि 9 टाउन हॉल से और 96 खान चाचा से जब्त किए गए।

तब कोर्ट ने कहा कि 105 ऑक्सीजन कंसेट्रेटर्स जब्त हुए हैं। कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि नवनीत कालरा ने किस आधार पर ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को अपने यहां रखा था। तब सिंघवी ने कहा कि इसके लिए किसी लाइसेंस की जरुरत नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने ड्रग के लाइसेंस की जरुरत बताई है। मेडिकल उपकरण भी ड्रग के दायरे में आता है। आप ये बताइए कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत ड्रग है कि नहीं।

सिंघवी ने कहा कि नवनीत कालरा के भागने का कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सभी साक्ष्य दस्तावेजी हैं, इसलिए उससे छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने अर्नेश कुमार के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर आरोपित जांच में शामिल होता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि ये एक असाधारण केस है। ये कोरोना महामारी के समय लोगों से धन कमाने का केस है। ये वक्त लोगों से धन कमाने का नहीं है। उन्होंने कहा कि एफआईआर के आधार पर अग्रिम जमानत का फैसला नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की गुणवत्ता ठीक नहीं थी जबकि इसे प्रीमियम कहकर बेचा गया। इन कंसेंट्रेटर्स की गुणवत्ता की जांच की गई थी। इस पर कोर्ट ने जांच रिपोर्ट मांगा। तब राजू ने कहा कि ये बात मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। उन्होंने कहा कि आरोपित ने जर्मन कंसेंट्रेटर कहकर चीन का बना कंसेंट्रेटर बेचा।

कोर्ट ने राजू से पूछा कि कालरा इंपोर्टर नहीं थे। उन्होंने वही बेचा जो उन्हें मिला। ऐसे में क्या आप इलजाम लगा सकते हैं। तब राजू ने कहा कि आरोपित को मशीनों की जांच करनी चाहिए थी। इसलिए ये बहाना नहीं चलेगा। यह एक गंभीर जांच का विषय है।

उन्होंने कहा कि इंपोर्टर की मशीनें उसी के स्टोर में रखी गई थी। हो सकता है कि वे दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हों। उन्होंने कहा कि अगर अग्रिम जमानत दी गई तो ये जांच को प्रभावित करेगा। इससे दूसरे जमाखोरों को अपना अपराध करने के लिए प्रेरित करेगा ।

बता दें कि आज ही दिल्ली की साकेत कोर्ट ने नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद दिया था। उसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपित को गिरफ्तार किया था।

दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किया था। पिछले 6 मई को पुलिस ने लोधी कालोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किया था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था। इन सभी को जमानत मिल चुकी है। पिछले 12 मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इन सभी को जमानत दी थी।