नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल को छूना, यौन हमला नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के कार्य को पोक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक सत्र अदालत के फैसले में संशोधन किया जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि आरोपी ने लड़की को निर्वस्त्र किए बिना उसके सीने को छूने की कोशिश की, इसलिए इस अपराध को यौन हमला नहीं कहा जा सकता है और यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत महिला के शील को भंग करने का अपराध है।
अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपी सतीश नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह दर्ज किया कि अपने घर ले जाने पर सतीश ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की।
कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपित ने ज़्यादती के इरादे से शारीरिक संपर्क के ज़रिए पीड़िता के कपड़े उतारे होते या उसके अंडरगारमेंट्स में हाथ डालने का प्रयास किया होता, तब इसकी श्रेणी वही होती। जस्टिस पुष्पा गानेडीवाला की एक जज वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया, जिसमें एक युवक को एक नाबालिग के यौन शोषण के आरोप में सज़ा सुनाई गई थी।