आतंकी फंडिंग मामले में नहीं मिली पाकिस्तान को राहत, एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही रहेगा

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इमरान खान

पेरिस। आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध कराने और उनसे नजदीकियों के आरोपों का खामियाजा पूरे पाकिस्तान की आवाम को भुगतना पड़ रहा है। आतंकी फंडिंग की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखा है। इस कारण पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सहित अंतरराष्ट्रीय निकायों से निवेश और सहायता के लिए आर्थिक मदद पाने में मुश्किलें आएगी।

पेरिस स्थित एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला था। पाकिस्‍तान को तीन साल पहले एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट डाला गया था। जो अभी भी जारी है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ‍पाकिस्तान को इस सूची से बाहर निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्‍तान में आतंकियों के तगड़े नेटवर्क के चलते इमरान को एफएटीएफ की कार्य योजना को लागू करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। पेरिस में एफएटीएफ का वर्चुअल सत्र 21 जून से शुरू हुआ था जिसका समापन आज 25 जून को हुआ। इसमें फैसला लिया गया कि पाकिस्‍तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।

एफएटीएफ की क्षेत्रीय शाखा एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) ने पाकिस्तान का ‘इन्हैंस्ड फॉलो-अप’ दर्जा बरकरार रखते हुए उससे मनी लॉन्ड्रिंग रोधी और आतंकवाद के वित्त पोषण उपायों को मजबूत करने के लिए कहा था। इससे तय हो गया था कि पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना रहेगा। एपीजी ने आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने और आर्थिक अपराध को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित में नाकाम रहने पर उक्‍त फैसला लिया था।