पितृ पक्ष में भूलकर भी ना करें ऐसा काम, पितरों में नाराजगी बढ़ जाती है

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मंगलवार से पितृपक्ष आरंभ हो चुका है। पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को खत्म होगा। सनातन धर्म में पितृपक्ष में पितरों की पूजा और पिंड दान का विशेष महत्व है। इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू हो चुका है। इसमें यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के आसपास विचरण करते हैं।

हिंदू धर्म हिंदू धर्म में पितृपक्ष आरंभ होने के बाद पितरों की तृप्ति के लिए उन्हें भोजन करवाया जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ हमसे प्रसन्न होते हैं। साथी घर में सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं।

शास्त्रों में पितरों को भी देवताओं की तरह ही सामर्थवान माना गया है। पितृ भी देवताओं की तरह आशीर्वाद देते हैं। पितृ के आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में पितरों की सही से सेवा नहीं करने पर वह नाराज भी हो जाते हैं। पितरों के नाराज होने पर हमें उनके कोप का भाजन बनना पड़ता है।

यदि पितृ हमसे नाराज होते हैं तो हमें जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। जीवन कष्टों से भर जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में कुछ खास कार्यों को नहीं करना चाहिए ताकि हमारे पितृ हमसे हमेशा खुश रहें।

पितृ पक्ष में कौन-कौन से कार्य नहीं करना चाहिए?

पितृ पक्ष में हमेशा अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से हमारे पितृ नाराज हो जाते हैं।

पितृ पक्ष में लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ नाराज हो जाते हैं और परिवार की सुख शांति और समृद्धि पर बुरा असर पड़ता है। इस दौरान तांबा पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।

पितृ पक्ष अपने पितरों को याद करने और उनकी पूजा करने का समय होता है। पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए और नई वस्तु की खरीदारी भी नहीं करना चाहिए।

पितृ पक्ष में शरीर पर तेल का प्रयोग और पान का सेवन करने से बचना चाहिए। संभव हो सके तो दाढ़ी और बाल भी नहीं कटवाना चाहिए।