नई दिल्ली। देश में कोरोना से होने वाली मौत की गलत आंकड़े जारी करने के आरोपों और मीडिया दावों को सरकार ने खारिज कर दिया। केंद्र सरकार ने कहा है कि ऐसा संभव नहीं है। सरकार ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिसमें कथित तौर पर कोरोना से होने वाली मौतों को कम बताने की बात कही गई थी।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि ऐसी मीडिया रिपोर्ट मानती है कि सभी मृत्यु दर के आंकड़े कोविड की मौतें हैं जो तथ्यों पर आधारित नहीं है और पूरी तरह से गलत हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में मजबूत और क़ानून-आधारित मृत्यु पंजीकरण प्रणाली को देखते हुए जबकि कुछ मामलों में संक्रामक रोग और इसके प्रबंधन के सिद्धांतों के अनुसार पता नहीं चल पाता है, मौतों की संख्या को गायब कर पाना संभव नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान भारत में मरने वालों की संख्या लाखों में हो सकती है। लेकिन आधिकारिक COVID-19 की मौत को काफी कम बताया गया है।
इन समाचार रिपोर्टों में हाल के कुछ अध्ययनों के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, अमेरिका और यूरोपीय देशों की आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर का उपयोग भारत में सीरो-पॉज़िटिविटी के आधार पर अधिक मौतों की गणना के लिए किया गया है।
मंत्रालय की ओर से कहा गय़ा है कि मौतों का एक्सट्रपलेशन एक दुस्साहसिक धारणा पर किया गया है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के मरने की संभावना पूरे देश में समान है, विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारकों जैसे कि नस्ल, जातीयता, जनसंख्या के जीनोमिक संविधान, पिछले जोखिम के बीच परस्पर क्रिया को मंत्रालय ने खारिज किया है।
सरकार ने संसद में दिया जवाब
इससे पहले विपक्षी नेताओं की ओर से केंद्र सरकार पर लगाए गए कोरोना से मौत के गलत आंकड़े जारी करने के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में निशाना साधा।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि बिना जानकारी के टिप्पणी करना बुरा है लेकिन जब जानबूझकर एक झूठी कहानी तैयार करने की कोशिश की जाती है तो यह और भी गंभीर मसला हो जाता है। किसी भी भारतीय नागरिक की मृत्यु खेद का विषय है, फिर चाहे उसकी मौत कोविड से हुई हो या किसी और कारण से।