गणेशोत्सव: जानें प्रतिमा स्थापना और पूजा की आसान विधि के बारे में

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गणेश प्रतिमा स्थापना

10 सितंबर, शुक्रवार से गणेशोत्सव की शुरुआत हो रही है। यह 19 सितंबर तक चलेगा। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेज जी का विसर्जन किया जाएगा। पुराणों के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष में चतुर्थी तिथि को दोपहर में हुआ था। गणेश पूजा में गणेश प्रतिमा स्थापना के तरीकों को भी जानना जरूरी है।

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, सूर्यास्त के बाद मूर्ति की स्थापना नहीं की जाती है, लेकिन इस दिन गोधूलि मुहुर्त में गणेश स्थापना शुभ मानी गई है।

शुभ मुहूर्त

सुबह 6.10 से 10.40 तक
दोपहर 12.25 से 1.50 तक
शाम 5 से 6.30 बजे तक

ऐसा माना जाता है कि मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति स्थापना शुभ होती है। ज्योतिषशास्त्र और धर्मशास्त्रों के मुताबिक, मिट्टी की गणेश प्रतिमा पंचतत्व से बनी होती है। उस मूर्ति में भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश के अंश मौजूद होते हैं। इस मूर्ति में भगवान का आह्वान कर पूजा करने से मनोकामना सिद्ध होती है।

प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य केमिकल्स से बनी मूर्तियों में भगवान का अंश नहीं रहता है। महाभारत में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है।

गणेश प्रतिमा स्थापना कैसे करे

सूर्योदय से पहले नहाकर साफ कपड़े पहने। पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके पवित्र आसन पर बैठें और गणेश स्थापना करें।

एक सफेद कपड़ा बिछाएं। उसपर चावल रखें। अब तांबे के चौड़े बर्तन में चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक बनाकर रख दें।

अब बर्तन में स्वास्तिक पर फूलों की पंखुड़ियां बिछाएं और उन पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी की हो सकती है। इसके बाद संकल्प लेकर पूजा शुरू करें।

गणेश पूजा के लिए सामग्री

तांबे का लोटा, गंगाजल, तांबे का बड़ा बर्तन, पंचामृत, मौली, वस्त्र, चंदन, अक्षत, जनेऊ, अबीर, गुलाल, कुमकुम, अष्टगंध, हल्दी, मेहंदी, इत्र, हार-फूल, दूर्वा, घी का दीपक, धूप बत्ती, ऋतुफल, गुड़, मोदक या मिठाई, सूखा मेवा, लौंग, लाइची, पान के पत्ते

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